प्रसिद्ध शैक्षिक सिद्धांतकार, डेविड ए कोल्ब, जो अपनी लर्निंग स्टाइल इन्वेंटरी (एलएसआई) के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने एक बार कोब्स लर्निंग साइकल नामक एक सिद्धांत का सुझाव दिया जो बताता है कि सीखना अनुभव की एक उपज है और लोगों के प्रदर्शनों का प्रबंधन करना सीखने के लिए इसके कारकों के बारे में जागरूक होना महत्वपूर्ण है।
उनके अनुसार, लर्निंग साइकल चार कारकों पर आधारित है −
अनुभव वह ज्ञान है जो एक व्यक्ति अपनी इंद्रियों को जागृत करने के माध्यम से प्राप्त करता है और इस कारण से अनुभवात्मक शिक्षा लोगों को नई अवधारणाओं और प्रक्रियाओं को सिखाने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है, क्योंकि ज्ञान उनके मस्तिष्क में यंत्रस्थ हो जाता है। हैंड्स-ऑन-ट्रेनिंग एक ऐसी विधि है जहां लोगों को निर्देश दिया जाता है और फिर साथ में उन्होंने जो सीखा है उसे कार्यान्वित करने के लिए कहा जाता है।
निरीक्षण, सीखने का दूसरे दर्जे का तरीका है जहां व्यक्ति प्रक्रिया के नतीजों को देखता है और परिणाम पर निर्भर करता है, वह या तो उसी प्रक्रिया को दोहराना चाहता है या इसे अस्वीकार कर देता है और किसी अन्य व्यक्ति के द्वारा कुछ और करने की प्रतीक्षा करता है। कोल्ब अवलोकन को परावर्तन अवलोकन के रूप में परिभाषित करता है।
एक उल्लेखनीय उदाहरण में एक प्रशिक्षित चिम्पैंजी को तीन जंगली चिंपांजियों के साथ एक पिंजरे में छोड़ दिया गया। जंगली चिम्पैंजी खाने के लिए चीटियों की बांबी की खुदाई कर रहे थे, हालांकि प्रशिक्षित चिम्पैंजी ने एक छड़ी ली, जीभ से चाटा, इसको बांबी में डाला, फिर उसे बाहर निकाला और छड़ी से सभी चींटियों को चाट लिया।
इस नए कार्य को देखने के कुछ घंटों के भीतर, जंगली चिम्पांजियों ने चीटियों की बांबी को तोड़ना छोड़ दिया और छड़ियों को तलाशना शुरू कर दिया। उनमें से एक ने बांबियों पर गुफा के मुहाने से बड़ी छड़ उसमें डाल दी और बांबी की साइड को तोड़ दिया।
दूसरे चिंपांज़ी ने तुरंत छड़ी को उसके हाथ से खींच लिया, और विचार करने के बाद, एक पतली छड़ी ली। यह नई शिक्षा सिर्फ अवलोकन से प्राप्त हुई थी। कुछ घंटों में बेहतर तरीके को सीखने के बाद चिम्पांजियों ने अपनी वर्षों की आदत को बदल दिया।
संकल्पना, किसी भी प्रत्यक्ष स्रोत के बिना ज्ञान प्राप्त करने की विधि है। सीखने की इस प्रक्रिया में व्यक्ति न तो खुद को शामिल करता है और न ही दूसरों का अवलोकन करता है लेकिन तार्किक तरीके को प्रतिपादित करने के लिए, उनके सामने प्रस्तुत आंकड़ों का उपयोग करता है। जाँचकर्ता सबूतों के अध्ययन के माध्यम से अपराध के दृश्यों को फिर से तैयार करने के लिए इस पद्धति का उपयोग करते हैं। इसका और अच्छा उदाहरण प्रशिक्षण मैनुअल होते हैं।
प्रयोग सीखने की विधि होती है जहां लोगों ने अपने ज्ञान को व्यवहार में लाते हैं और यह भी देखते है कि, इससे कुछ भी नया सीखा जा सकता है या नहीं। चिंपांजियों के पिछले उदाहरण पर जाकर यह पाया गया कि रीसस बंदर एक कदम आगे थेे और अलग-अलग पौधों के स्टिक के साथ प्रयोग करना शुरू कर दिया।
उनकी शिक्षा सिर्फ छड़ी की सही लंबाई और मोटाई खोजने तक ही समाप्त नहीं होती थी बल्कि वे लकड़ी के प्रकारों का प्रयोग करने में भी रुचि रखते थे। कुछ दिनों बाद बंदरों को एक एफिड़-इनफेस्टेड़ पेड़ कि टहनियों का उपयोग करते हुए पाया गया। एफिड्स ने पेड़ का रस उत्पन्न कर दिया जो टहनियों को चिपचिपा बना देती थीं। जितनी चीटियां उन्हें पहले एक बार टहनियों को चाटने पर मिलती थीं वहीं इन टहनियों का उपयोग करने से बंदरों को काफी संख्या में चींटियां मिलनी शुरू हो गईं। हालांकि, कुछ दिनों में एक दिलचस्प बात हुई। एफ़िड इनफेस्टेशन के कारण पौधे की टहनियां संक्रमित हो गईं, जिसके परिणामस्वरूप पौधों का रस बनना खत्म हो गया। छड़ी को चाटने से रस बंदरों के अंदर प्रवेश कर गया, जिसके कारण उनमें से एक के पेट में बहुत बड़ी गड़बड़ी हो गई।
जोखिम को समझते हुए, जबकि वे खुद इससे पीड़ित नहीं थे उन सभी ने उन टहनियों का उपयोग करना छोड़ दिया और किसी अन्य लकड़ी की तलाश में चले गए। इसी चक्र की तरह लोग इस तरह के चरणों और विधियों के माध्यम से भी सीखते हैं। हालांकि चिम्पांजियों के मामले में यह उलट है, जो केवल स्वास्थ्य से ही पीड़ित थे, हमारी गलतियां इससे संबंधित कई और नुकसानों का कारण या उनको सक्रिय कर सकते हैं। इसके बावजूद लोगों को प्रयोग करने और जोखिम लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि वे अपने कार्यों के नकारात्मक प्रभाव से खुद सीख सकें।
रतन को सॉफ्टवेयर कंपनी में सॉफ्टवेयर डेवलपर के रूप में काम पर रखा गया था। उसे एक कार्यक्षेत्र दिया गया था, और अपने प्रबंधक के साथ एक संक्षिप्त बातचीत करने को कहा गया, जिसने उसको सॉफ्टवेयर को डिजाइन में इस्तेमाल होने वाले उपकरण के बारे में बताया। उसे एक नियमावली दी गई जिसका इस्तेमाल वह प्रत्येक कार्यक्रम के लिए कर सकता था।
शुरू में रतन उपकरण का उपयोग करने में संकोच करता था। वह गलती करने से डरता था और पूरी परियोजना के लिए असुविधा पैदा कर रहा था। उसकी उत्पादकता बहुत अच्छे होने के बावजूद पहले सप्ताह में औसत थी। तब उसने खुद जानने का साहस किया और अवलोकन किया कि उनके सहयोगी कैसे काम कर रहे थे। धीरे-धीरे उसके प्रदर्शन में सुधार होना शुरू हो गया।