हर्ज़बर्ग का सिद्धांत


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प्रसिद्ध अमेरिकी मनोवैज्ञानिक और “व्यवसाय प्रबंधन” के प्राधिकारी फ्रेड्रिक हर्ज़बर्ग ने कहा था कि एक नियोक्ता लोगों के एक समूह को इस तरह काम करने के लिए नौकरी पर रख रहा है ताकि जो उसका लक्ष्य था वो उसे हासिल कर सके, तो यह उन्हें प्रेरित करने का सबसे अच्छा तरीका है अगर वे लक्ष्य की पहचान करते हैं और अपनी निजी उपलब्धियों को भी इसके साथ देखते हैं।

प्रेरणा आपके काम के बारे में उत्साहित होने से कहीं ज्यादा है। यह आपके काम में सर्वश्रेष्ठ होने के बारे में है, या सर्वोत्तम परिणाम देने के बारे में है। प्रेरणा वेतन और काम की परिस्थितियों से निकटता से संबंधित है, हालांकि वेतन वृद्धि और काम करने की बेहतर परिस्थितियां, एक कर्मचारी को अनिवार्य रूप से प्रेरित नहीं करती हैं।

हर्ज़बर्ग को पता चला कि एक कर्मचारी को प्रेरित करते समय चार कारक सबसे अधिक महत्व रखते हैं। अगर किसी भी कर्मचारी को अपने कार्यस्थल में बहुत जरूरी अभिप्रेरक मिलते हैं, तो किसी भी कर्मचारी को प्रेरणा मिलेगी −

  • स्वामित्व-कर्मचारी को − यह महसूस करना चाहिए कि उनके पास उनकी नौकरी का स्वामित्व है।

  • काम की प्रकृति-कर्मचारी को − अपनी प्रतिभा के अनुसार नौकरी में होना चाहिए।

  • मान्यता-एक कर्मचारी के − प्रयासों की सराहना करनी चाहिए और स्वीकारा जाना चाहिए।

  • उपलब्धि-प्रयासों के − परिणाम को एक लक्ष्य प्राप्ति की तरह महसूस किया जाना चाहिए।

हर्ज़बर्ग थीअरी ऑफ हाईजीन फैक्टर्स (स्वच्छता कारक)

हर्ज़बर्ग ने एक बार एक साक्षात्कार में उल्लेख किया था ताकि अपने थीअरी ऑफ “हाईजीन फैक्टर्स” को साबित कर सके उन्होंने एक मुद्रण कंपनी का मामला लिया, जिसका मतलब था कि कार्यस्थल में कुछ चीजें एक कर्मचारी को कठिन काम करने के लिए प्रेरित नहीं कर सकतीं लेकिन उनकी अनुपस्थिति उन्हें हतोत्साहित कर सकती है।

यह कंपनी दो साल पहले शुरू हुई और अपने कर्मचारियों को सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी वेतन की पेशकश कर रही थी। हालांकि कई कर्मचारियों ने कंपनी के मुख्य शहर से दूर होने की शिकायत की जिससे आने-जाने में असुविधा हो रही है। दूसरा मुद्दा कार्यालय में अनुचित एयरकंडीशनिंग सुविधाएं थीं।

प्रबंधन ने इस बात पर ध्यान दिया और एक साल बाद वे दूसरे स्थान पर चले गये। उन्हें अच्छी एयर कंडीशनिंग मिली और कार्यालय उस स्थान पर था जहां हर कोई आसानी से शहर से पहुंच सकता है। इसके अलावा उन्होंने अपनी इन्वेंट्री को मजबूत बनाया और इंटीरियर की भी दुबारा सजावट की।

यह देखा गया कि कर्मचारी उत्पादकता बढ़ना शुरू हुई, और कर्मचारी नए वातावरण में काम करने के लिए उत्साहित थे। हालांकि कुछ महीनों के बाद वे उन्हीं नंबरों पर वापस आ गए। प्रबंधन ने इस स्थान को फिर से तैयार करने और एक अलग दिखने की कोशिश की लेकिन इससे कुछ फर्क नहीं पड़ा।

कर्मचारी उत्पादकता

फिर प्रबंधक वेतन बढ़ाने और अच्छे प्रदर्शन आधारित प्रोत्साहन प्रदान करने की ओर बढ़े। इससे कुछ लोगों की उत्पादकता में वृद्धि देखी गई जबकि कुछ शीर्ष निर्वाहकों ने संभावित क्षमता से कम उत्पादकता दिखाई। यह वो समय था, जब एचआर सामने आए और कर्मचारियों के साथ व्यक्तिगत तैर पर खुली चर्चा की।

यह पाया गया कि लंबे समय के काम, यात्रा में बिताए गए समय, कार्य-जीवन संतुलन, लचीला समयावधि आदि को लेकर कर्मचारियों की कई अलग-अलग चिंताएं थीं। उन्होंने पाया कि कर्मचारियों का समय और प्रतिस्पर्धात्मक भुगतान सुनिश्चित करना उन्हें प्रेरणा प्रदान नहीं करता। उन्हें प्रेरित रखने के लिए हर कर्मचारी को अपने निजी प्रेरणात्मक कारक को संबोधित करना चाहिए। उन्होंने उन नीतियों की शुरुआत की जो हर कर्मचारी की चिंताओं को संबोधित करता था और पाया कि नई इमारत में जाने के बाद कंपनी की उत्पादकता में 35% की वृद्धि हुई।

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