इस अध्याय में हम कैरियर विकास और योजना प्रक्रिया में शामिल तत्वों के बारे में चर्चा करेंगे।
सामान्यतः करियर के निर्माण में दो कार्य शामिल हैं। −
उपलब्ध करियर के अवसरों के माध्यम से अपने भविष्य का निर्माण और
संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए संगठन कर्मचारी से आशा करना कि वह उस भरोसे को पूरा करेगा जो नियोक्ताओं ने उसके चयन के समय उसमें दिखाया था।
करियर योजना को उस प्रक्रिया के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है जिसमें कर्मचारी अपने संगठन में उपलब्ध अवसरों का उपयोग स्वयं के व्यक्तिगत लाभों को आगे बढ़ाने के लिए कर सकता है। लेकिन ठीक उसी समय, यह संगठनात्मक अनुपालन की सीमाओं के भीतर अच्छी तरह से होना चाहिए। इस मायने में, आदर्शतः कंपनी में शामिल होने से पहले करियर योजना शुरू करनी चाहिए।
करियर योजना में पांच महत्वपूर्ण चरण शामिल हैं। वो हैं −
आइए अब उपर्युक्त चरणों को विस्तार से देखें।
उचित कौशल के साथ, निजी हितों, अपनी प्राथमिकताओं, ताकतों और कमजोरियों की समीक्षा करने का कार्य स्वयं का मूल्यांकन करना है। ये समीक्षा संगठन में कर्मचारी के करियर विकास में अपने अवसरों की वास्तविक तस्वीर देख पाने में मदद करती हैं। मूल्यांकन उसे विशिष्ट कार्य विवरण और उन्नती के लिए आवश्यक कौशल समूह की एक पारदर्शी तस्वीर भी दिखाएगा।
हालांकि, यह अपने खुद के संगठन में विकास के अवसरों की खोज के लिए एक बहुत ही बढ़िया उपकरण है, नौकरी चाहने वाले इसका उपयोग मित्रों, परिवार और नौकरी मेलों में अवसर तलाशने के लिए कर सकते हैं। यह वास्तविकता जांच भविष्य के लिए लक्ष्यों को अंतिम रूप देने और उद्देश्यों काे निर्धारित करने में भी मदद करेगी।
आत्म-मूल्यांकन हो जाने के बाद, अगला चरण वास्तविकता की जांच करने के लिए है कि व्यक्ति के पास कौन-कौन से कौशल हैं और वे उसकी मदद कैसे कर सकते हैं। इस चरण में उम्मीदवार को एक विशिष्ट करियर तक पहुंचने के लिए उसके सभी चरणों को रेखांकित करने की आवश्यकता है। इसमें तकनीकी ज्ञान का जायजा लेना शामिल होता है कि क्या कोई नौकरी का अवसर पाने के लिए यह ज्ञान पर्याप्त है।
अगला महत्वपूर्ण उद्देश्य नेटवर्किंग है। उम्मीदवार को ढूँढना चाहिए कि यदि उसके संपर्क में कोई ऐसा व्यक्ति है जो उसको अवसर प्रदान कर सकता है, या इस तरह की कोई मदद कर सकता है। एक कार्यरत पेशेवर अपने लक्ष्यों का यथार्थवादी मूल्यांकन करने में इस कदम का उपयोग कर सकता है कि क्या उसके लक्ष्य अभी भी अर्जित करने योग्य हैं और क्या कार्यस्थल में हुए सभी परिवर्तन उसके दृष्टिकोण को प्रभावित करते हैं।
अधिकांश संगठन कर्मचारियों का वार्षिक मूल्यांकन करते हैं जिसमें कई आत्म-मूल्यांकन प्रश्नावलियां होती हैं। यह वह जगह है जहां उम्मीदवार खुद को एक उचित अंक दे सकते हैं और प्रबंधन को यह साबित कर सकते हैं कि उन्होंने संगठन के विकास में कहां योगदान दिया है।
इस चरण में, उम्मीदवार अपने लिए उपलब्ध करियर के अवसरों की एक श्रृंखला की जांच करता है और निर्धारित करता है कि उसकी पसंद के काम में किस तरह के ज्ञान कौशल की आवश्यकता होगी। इस क्रम में, उम्मीदवार शोध करता है और कई स्रोत जैसे कि- मित्रों, सहकर्मियों से सूचना-इकट्ठा करता है और सर्वोत्तम तरीका ढूंढने की कोशिश करता है जो उसके लिए काम कर सके।
इस अवस्था में, कई संभावित नौकरी चाहने वाले नौकरी प्लेसमेंट केंद्रों में अपनी प्रोफाइल पोस्ट भी करते हैं, जो बदले में उन्हें वांछित योग्यताओं की एक सूची प्रदान करते हैं, जो नियोक्ता उम्मीदवार की प्रोफाइल में तलाश करते हैं। इसी तरह की स्थिति संगठन के अंदर भी मिलती है, जहां किसी खास स्थिति के लिए संभावित विकल्प के तौर पर अपने कौशल को निखारने के लिए कहा जाता है।
करियर नियोजन की प्रक्रिया में तीसरा चरण लक्ष्य का निर्धारण करना है, जहां एक व्यक्ति आत्म-मूल्यांकन के दौर से गुजरता है और किसी संगठन में अपनी दीर्घकालिक संभावनाओं को तय करने के लिए अपने करियर के अवसरों की जांच करता है। कामयाबी के लिए सभी विकल्पों को जांचना किसी भी उम्मीदवार के लिए महत्वपूर्ण है।
यह भी जरूरी है कि वह अपने व्यक्तिगत हितों, क्षमताओं और कौशल के अनुरूप अवसरों की खोज करे। संक्षेप में, उसके लक्ष्य विशिष्ट, सोचे-समझे, निर्धारित और पाने लायक होने चाहिए, ताकि वह इनका पीछा करते हुए अपनी सफलता का आकलन कर सके।
कार्य नियोजन में ऐसे कदम शामिल हैं जो लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं जैसे कि अतिरिक्त प्रशिक्षण या कोई विशिष्ट प्रबंधकीय कौशल जो कोई अपनी वर्तमान या भावी स्थिति के लिए पाना चाहता है। इस क्रम में आमतौर पर संगठन में विभिन्न भूमिकाओं में काम कर रहे वरिष्ठ कर्मचारियों के साथ बहुत सारे संवाद होते हैं। चूंकि ये वरिष्ठ लोग ऐसे व्यक्ति हैं जो शेष लोगों के साथ अपनी जानकारी साझा कर सकते हैं और उन्हें काम के क्षेत्रों में विभिन्न गतिशीलता के बारे में सूचित कर सकते हैं।
अंतिम चरण में कैरियर के लक्ष्यों की ओर बढ़ने में की गई प्रगति का मूल्यांकन करना चाहिए। लोगों की सफलता का मूल्यांकन करने से लोगों को अपनी प्रगति का ट्रैक रखने में और करियर योजना में खूबियों और कमियाें की पहचान करने में मदद मिलती है।
आत्म-मूल्यांकन की यह आदत लोगों को अपनी प्राथमिकताओं को सीमा में रखने और अपने कौशल को निरंतर प्रक्रिया के रूप में विकसित करने में सहायता करती है। कौशल एक दिन में विकसित नहीं होते इनके लिए निरंतर प्रयास करना पड़ता है। इसके अलावा, आत्म-मूल्यांकन कार्य क्षेत्र में विभिन्न कार्यकलापों में ज्ञान प्राप्त करने में सहायता करता है।