एक कर्मचारी में लगातार सुधार लाने के लिए मेंटरिंग सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है। यह उन प्रतिभावान लोगों को अनौपचारिक मार्गदर्शन और प्रोत्साहन प्रदान करने की विधि का उपयोग करता है, जो स्वयं को अपनी वास्तविक क्षमता का एहसास कराने के लिए पर्याप्त रूप से प्रेरित नहीं होते हैं।
मेंटर आम तौर पर ऐसे लोग होते हैं जो तत्कालिक पर्यवेक्षक की तुलना में ऊंचे पदक्रम से आते हैं। यह मेंटर इन उम्मीदवारों को अपनी निगरानी में प्रशिक्षित करते हैं और उन्हें समय-समय पर परामर्श प्रदान करते हैं। यह आपसी व्यक्तिगत रिश्ता कर्मचारियों के मन में विश्वास और सम्मान बनाता है और उन्हें आत्मविश्वास देता हैं।
इस व्यवस्था के कारण वे मेंटर से मार्ग दर्शन पाते हैं और नतीजतन अपने करियर में बहुत सी सफलता हासिल करते हैं। वे अंतर्दृष्टि की भावना विकसित करते हैं और कंपनी की परिकल्पना और लक्ष्यों को समझते हैं। वे संगठन के भीतर विभिन्न नेटवर्कों के बारे में भी जागरूक हो जाते हैं। इन दिग्गजों के नेतृत्व में वे (कर्मचारी) नए अवसर प्राप्त करने की इच्छा महसूस करते हैं।
संगठन इस मेंटर-मेंटी (mentor-mentee) संबंध से भी लाभांवित होते हैं क्योंकि इन्हें ऑन-जॉब प्रशिक्षण के लिए भुगतान नहीं करना पड़ता है। वे यह भी दावा कर सकते हैं कि वे अपने कर्मचारियों के करियर विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। मेंटर कर्मचारियों के साथ बातचीत से अपने आप में सुधार करते हुए अपने अंतर्वैयक्तिक कौशल और तकनीकी ज्ञान का लाभ उठाते हैं।
सामान्य तौर पर लोग मेंटरिंग को सूचना वितरण का एक-तरफा संचार आधारित मॉडल समझने लगते हैं। हालांकि, सच्चाई यह है कि जिन व्यक्तियों ने अपने रोजगार के शुरुआती चरणों में मेंटर से सलाह ली थी वे अपने प्रतिक्रिया सत्रों में सबसे अधिक ग्रहणशील रहे हैं। नई प्रतिभा का सामना करते वक्त वे और अधिक धैर्यवान दिखते हैं। यह सब इसलिए है क्योंकि वे अपने मेंटर के साथ परस्पर पूछताछ और राय साझा करकेे निरंतर संवाद बनाये रखते हैं।