सभी संगठन निरंतर सुधार करना चाहते हैंं। बदलाव किसी भी संगठन में सुधार लाने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक है। बदलाव के बिना कोई सुधार संभव नहीं है। यही नियम कर्मचारियों के साथ भी लागू होता है। यदि कोई कर्मचारी अपने जीवन में बदलाव नहीं लाना चाहता तो उसके करियर में सुधार लाना संभव नहीं होगा।
आजकल यदि कोई यह आशा करता है कि उसके बगैर कुछ किये या अपने करियर में बिना कोेई कौशल विकसित किये उसके साथ सारी चीजें ठीक से होंगी तो वह निस्संदेह ही एक खयाली दुनिया में जी रहा है। यही कारण है कि कई संगठनों ने अपने कर्मचारियों को कुशल बनाने के लिए स्वयं विकास योजना शुरू की है ताकि उनके कर्मचारी भी विश्वस्तर पर प्रतिभाशाली बन सकें। इस नये कौशल अर्जन के बूते वे सरलता से व्यक्तिगत विकास के सोपान चढ़ सकते हैं और दीर्घकालिक-सफल करियर का लुत्फ उठा सकतेे हैं। सफल करियर का मंत्र इन सरल शब्दों में निहीत है, उपयुक्त कौशल के साथ, उचित समय और मुनासिब जगह पर एक लाजवाब कर्मचारी बनें।
करियर विकास उन दुर्लभ कदमों में से एक है जो कर्मचारी और नियोक्ता, दोनों की जरूरतों को रेखांकित करता है। प्रत्येक संगठन यही चाहता है कि उसके कर्मचारी अपनी पेशेवर जिंदगी में तरक्की करें ताकि वे अपने अापको भविष्य की चुनौतियों के अनुरूप परिवर्तित कर सकें।
यही मुख्य कारण है कि संगठन अपने ध्येय को कर्मचारियोंं के व्यक्तिगत लक्ष्यों से जोड़ने के लिए प्रशिक्षण सत्रों और अधिगम वक्रों (अपनी गलतियों से सीखना) का आयोजन करते हैं। हालांकि, यह प्रकिया निर्बाध प्रतीत होती है, लेकिन क्रियान्वयन के दौरान यह कई चुनौतियां पेश करती है। संगठनों में प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच जो सबसे बड़ा कारण है वह संवाद में बाधा का होना है।