समीक्षात्मक सोच - क्विक गाइड


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समीक्षात्मक सोच - एक परिचय

ज्ञान पर आधारित आज की दुनिया में उन लोगों को विशेष लाभ मिलता है जो समीक्षात्मक ढंग से सोचने के साथ-साथ अपने ज्ञान को बढ़ाते रहते हैं। समीक्षात्मक सोच आपकी विश्लेषणात्मक कौशल को विकसित करने में आपकी सहायता करती है, ताकि आप दिए गए डेटा का मूल्यांकन कर सकें और सबसे बेहतर तरीके से इसकी व्याख्या कर सकें। इसके जरिये हम विकट परिस्थितियों में त्रुटि रहित काम करने के साथ-साथ सही निर्णय भी ले पाते हैं।

दूसरे शब्दों में कहा जाये तो, समीक्षात्मक सोच निर्णय लेने की तार्किक तकनीक के साथ-साथ और निर्णय लेने के कौशल में वृद्धि करने की सलाहियत मुहैया कराता है। यह सिर्फ इससे संबंधित नहीं है कि हम किस प्रकार सोचते हैं या तथ्यों का विश्लेषण करते हैं बल्कि इससे जुड़े तथ्यों का इस्तेमाल हम कार्य और कार्य के प्रति प्रतिक्रिया के निर्णय के संबंध में भी करते हैं। कार्रवाही समीक्षात्मक तर्कों का एक महत्वपूर्ण चरण होती है क्योंकि समीक्षात्मक तर्कों की संपूर्ण अवधारणा ठोस, अकाट्य सबूतों पर कार्रवाही करने पर ही आधारित होती है।

समीक्षात्मक सोच का परिचय

उपलब्ध जानकारी के आधार पर किसी भी चीज की सत्यता या परिमाण का निर्धारण करने की दक्षता को ही रीज़निंग कहा जाता है। यही इसकी ख़ासियत है जिसने गुफा में रहने वाले मानव प्रजाति के लोगों को विकसित करके दुनिया में सबसे प्रतिष्ठित मुकाम तक पहुँचाया है। हालांकि, मानव की तर्क शक्ति हमेशा सही नहीं होती क्योंकि यह हमेशा तर्क के आधार पर नहीं होती है। अक्सर यह देखा गया है कि मानव की तर्क शक्ति भावनाओं से प्रभावित होता है। पक्षपात इन भावनाओं में अहम जगह रखता है। हम लोगों को उनके प्रदर्शन के आधार पर मापते हैं, लेकिन अक्सर हम गलत भी साबित हो जाते हैं।

सेवा उद्योग में कई मामले सामने आये हैं जिनमें लोगों के व्यक्तित्व का गलत आकलन करने के कारण व्यसाय जगत ने बड़े पैमाने पर अपने ग्राहकों और क्लाइंट्स को खो दिया है। उनमें से एक बहुत ही विख्यात मामला हैदराबाद के निजाम का देखने में आता है जिनको 'रोल्स रॉयस' के शोरूम में उनके साधारण भेष-भूषा के कारण प्रवेश नहीं करने दिया गया। बाद में, उन्होंने 'रोल्स रॉयस' कार खरीदी और आदेश दिया कि उसके सामने के पहियों के चारों ओर बड़े झाडू लगाए जाएं और कार को हैदराबाद की सड़कों की सफाई करने के लिए भेज दिया जाय, ऐसा करना एक प्रतिष्ठित कार निर्माता कंपनी की सौरभौमिक शर्मिंदगी के लिए काफी था।

समीक्षात्मक सोच क्या है?

ओपन-माइंडेड इन्क्वाइरी करने की काबिलियत को समीक्षात्मक सोच कहते हैं। यह मानव सभ्यता की आधारशिला है। ऐसे व्यक्ति जो पूर्वाग्रह से प्रभावित होते हैं और किसी की सलाह पर गौर नहीं फर्माते वे कुँए के मेंढक की तरह होते हैं। अलग-अलग तरह के लोगों के संपर्क में आने और उनके अलग-अलग दृष्टिकोण पर अमल करने से खुले मन वाले लोगों की सोच का दायरा बढ़ता जाता है।

ओपन-माइंडेड का मतलब प्रासंगिक सबूतों को समझने के साथ-साथ उस पर आधारित एक तर्क तैयार करना होता है, इसके अलावा इसकी सत्यता और साकारात्मक समीक्षा के लिये भी उत्तरदायी रहना होता है। ओपन माइंडेड लोग किसी निष्कर्ष पर पहुँचने के बाद भी अन्य विश्वसनीय स्रोत के तरफ से आये हुये प्रस्ताव पर पुनर्विचार के लिये सदैव तैयार रहते हैं। वे किसी भी निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए हमेशा अलग-अलग विकल्पों और संभावनाओं का सहारा लेते हैं और पूर्वकल्पनात्मक विचारों और सिद्धांतों में अपने आप को बाँधकर रखना पसंद नहीं करते हैं।

ऐसा देखने में आता है कि समीक्षात्मक सोच की क्षमता रखने वाले लोग समस्या संबोधन संबंधी कार्य करने से पहले समस्या से होने वाली हानि के दायरे तक अपनेआप को महदूद रखना पसंद नहीं करते क्योंकि सामने आनेवाली सभी समस्याओं को सुलझाने में उनका दृष्टिकोण एक समान होता है। यह तरीका उन लोगों से बिल्कुल अलग है जो गंभीरता से नहीं सोचते हैं क्योंकि उनके तर्क अक्सर चीजों के भावनात्मक सोच के नजरिये से रास्ता दिखाते हैं।

समीक्षात्मक सोच का महत्व

सभी तरह के पेशेवर क्षेत्रों में सफलता हासिल करने के लिये समीक्षात्मक सोच एक कुंजी की तरह है। समीक्षात्मक सोच सूचना की सावधानीपूर्वक व्याख्या करने में सहायक होती है और इसके साथ-साथ व्यवहारिक निष्कर्ष तक पहुँचने के लिये इस सूचना का बखूबी इस्तेमाल भी करती है। अवधारणाओं में सर्वभौमिक एकरूपता होने की वजह से समीक्षात्मक सोच के सिद्धांतों को किसी भी संदर्भ में लागू किया जा सकता है, हालांकि इनको जरूरत के हिसाब से लागू करना होता है।

निम्नलिखित क्षेत्रों में समीक्षात्मक सोच लागू होती है। −

मानव-शास्त्र मनोविज्ञान जीवविज्ञान
नागरिक-शास्त्र दर्शनशास्त्र पर्यावरण
इतिहास गणित कानून
राजनीति रसायन-विज्ञान नीति-शास्त्र
संगीत कला-कौशल व्यवसाय

ऐसे क्षेत्रों में यह अत्यंत जरूरी है कि सभी चीजों का विस्तारपूर्वक विश्लेषण, मूल्यांकन और व्याख्या मजबूत तर्क और अनुसंधान के माध्यम से की जानी चाहिये, चूँकि ऐसे क्षेत्रों में सफलता हासिल करने के लिये समीक्षात्मक सोच एक आवश्यक आवश्यकता है। ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ गहन ज्ञान और तार्किक सोच होने के बावजूद लोगों ने गलतियाँ की हैं क्योंकि वो इसके सिद्धांतों को लागू नहीं कर पाये क्योंकि वे इतने जटिल और अव्यवहारिक हैं कि अच्छे तरीके से लागू नहीं किये जा सकते।

समीक्षात्मक सोच के तहत पूर्वधारणा, पूर्वाग्रह, कल्पना, आत्मप्रतारणा, विरूपण, गलत सूचना आदि की पहचान करना शामिल है। संज्ञानात्मक मनोविज्ञान में शोध को देखते हुए, कुछ शिक्षकों का मानना है कि विद्यालयों को अपने विद्यार्थियों में समीक्षात्मक सोच की निपुणता और बौद्धिक गुणों में सुधार पर बल देना चाहिए।

समीक्षात्मक सोच हमें समस्याओं को पहचानने और उनके लिए समाधान ढूंढने में मदद करती है। इसके अलावा, यह हमें कार्यों के बीच प्राथमिकता देना भी सिखाती है ताकि हम समस्या को सुलझाने की प्राथमिकता को समझ सकें। यह सटीकता से डेटा को समझने के साथ-साथ उनके बीच तार्किक संबंधों के अस्तित्व की जांच करने में मदद करती है। निष्कर्ष पर पहुंचने के बाद विभिन्न सामान्यीकरणों को जाँच हेतु उस सिद्धांत से गुजरना पड़ता है जिसको ध्यान में रखकर निष्कर्ष निकाला गया था।

समीक्षात्मक सोच - अनुप्रयोग

व्यवसायिक जगत में समीक्षात्मक सोच एक संस्था के तीन मुख्य क्षेत्रों को  प्रभावित करती है जिनमें मानव संसाधन, विपणन और ग्राहक सेवा शामिल हैं। आइए देखते हैं कि समीक्षात्मक सोच के जरिये तीनों क्षेत्रों का प्रबन्धन कैसे सुचारू रूप से किया जा सकता है?

मानव संसाधन

आजकल बहुत सारी कंपनियों ने एंप्लॉयी रिलेशन्स को लेकर ऐसे प्रशिक्षित और प्रमाणित विशेषज्ञों की नियुक्ति शुरू कर दी है जो परस्पर कार्यस्थल की जांच करते रहते हैं। जब उन्हें ऐसी परिस्थिति का सामना करना पड़ता है जहाँ उन्हें एक कर्मचारी को दुर्व्यव्हार करने के आरोप में चेतावनी देने से लेकर निलंबन या निष्कासन जैसी कार्यवाही करनी पड़ती है तब वे एक निष्कर्ष तक पहुँचने के लिये समीक्षात्मक सोच का सहारा लेते हैं।

सच संबंधी साक्षात्कार, गवाह के बयान, कर्मचारियों की विश्वसनीयता से जुड़े अनुमान, निषकाष्नोपरांत टीम पर पड़ने वाले प्रभाव जैसी तकनीकें यह पता लगाने के लिए लागू की जाती हैं कि क्या किसी कर्मचारी को तुरंत निष्कासित कर दिया जाना चाहिए या उसे दूसरा मौका दिया जाना चाहिए।

मानव संसाधन

मार्केटिंग

मार्केटिंग, जनसंपर्क, संचालन प्रबंधन और बिक्री के क्षेत्र में काम करने वाले लोग अपनी समीक्षात्मक सोच की निपुणता के जरिये कंपनी के उत्पादों और सेवाओं के संदर्भ में कंपनी की सार्वजनिक अवधारणा का निर्माण करते हैं।

पहले किसी उत्पाद की मार्केटिंग सिर्फ जनसांख्यिकी को आकर्षित करने  के उद्देश्य से की जाती थी और इसे काफी सराहा भी जाता था। हालांकि, अब बाजारों में वैश्विक और आर्थिक मंदी के रुप में एक भारी गिरावट देखने को मिल रही है। समीक्षात्मक सोच के जरिये मार्केटिंग एजेंसियों ने ऐसे मुद्दों से निपटने का तरीका ढूंढ लिया है। एक ही प्रकार के उत्पाद को बेचे जाने वाले बाजार की सोच को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया। इसके बजाय, उत्पाद के प्रति बड़ी जनसांख्यिकी को आकर्षित करने के लिए मार्केटिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जाता था, भले ही उस उत्पाद को किसी भी संशोधन से गुजरना क्यों न पड़े। इस तरह, उत्पाद अपने मूल बाजार के आधार को खोए बिना सभी जनसांख्यिकी को आकर्षित कर रहे थे।

उदाहरण के तौर पर, अगर एक कार की मार्केटिंग केवल महिलाओं को आकर्षित करने के उद्देश्य से की गई है , तो यह अनुमानित बिक्री के लक्ष्य को पूरा करने में असफल साबित होगी। इसका मूल कारण जनता का नजरिया है जो अब उत्पाद को लेकर केंद्रित है, और पुरुष ग्राहक खुद को उत्पाद से दूर करते जा रहे हैं। आज के दौर में सही मायने में लागू की जाने वाली वही रणनीति सही मानी जाती है जो परिवार के सभी सदस्यों को आकर्षित करने वाली हो और इसमें बच्चों के साथ-साथ कुत्ते को भी शामिल किया जा सके।

मार्केटिंग

ग्राहक सेवा

जिन कार्मचारियों का ग्राहकों के साथ नियमित रूप से संपर्क होता है, वे हर समय समीक्षात्मक सोच के कौशल की सहायता से ग्राहकों की जरुरतों को समझने की कोशिश करते हैं और उत्पाद के बारे में जानकारी प्रदान करते रहते हैं। इसलिये एक संतोषजनक निषकर्ष की प्राप्ति के लिये ग्राहक संबंधी जानकारी का प्रयोग विवादास्पद विषयों से निपटने के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

मिशाल के तौर पर, जब एक ग्राहक सेवा प्रतिनिधि किसी ऐसे मामले की जिम्मेदारी लेता है जिसमें वो एक ऐसे ग्राहक की देय भुगतान की समय सीमा को आगे बढ़ा सकता है जो पहले सभी भुगतान सही समय सीमा के भीतर करता रहा है। दूसरे मिशाल के तौर पर, ग्राहक के साथ लंबे समय के व्यावसायिक संबंधों को ध्यान में रखते हुए ग्राहक द्वारा देर से भुगतान किये जाने को लेकर उसे डंडित नहीं करता है।

इन दोनों मामलों में ग्राहक सेवा प्रतिनिधि को अंतिम निर्णय लेने से पहले कंपनी के साथ लंबे समय से जुड़े हुये ग्राहकों के बारे में जानना होता है और इसके जरिये वह इस समस्या का जल्द से जल्द कर पाता है।

नेटफ्लिक्स के एक ग्राहक-नोर्म ने 'पार्कस एंड रेक' के एपिसोड को देखते समय विडियो प्लेयर में आने वाली मुश्किलों के संदर्भ में कंपनी से संपर्क किया। वीडियो प्लेयर पिछले तीन सेकंड की ही वीडियो को लगातार एक लूप में चला रहा था। उसने नेटफ्लिक्स चैट सेवा को खोल कर एक ग्राहक सेवा प्रतिनिधि से बातचीत शुरू की।

उसके चैट मैसेज का जवाब देने वाले व्यक्ति का नाम माइकल था जोएक प्रसिद्ध स्टार ट्रेक सीरीज के एक "माल-वाहक जहाज के कैप्टन माइक" के रूप में जाना जाता था। उसने पूछा कि वह किस क्रू मेंबर से बात कर रहा है। स्पष्ट था, इस तरह के अभिनंदन से खुश होकर नोर्म जो अपने दूसरे स्टार ट्रिक मेंबर के साथ बैठा हुआ था, टाइपिंग के जरिये उसके सवाल का जवाब दिया- "लेफ्टिनेन्ट" नाॅर्म।

उनमें से किसी ने भी पूरी बातचीत के दौरान बीच में हस्तक्षेप नहीं किया। अब यह कॉल एक मिशाल बन गयी है कि कैसे ग्राहकों को खुशी और सेवा प्रदान की जाये।

कंफर्ट जोन से परे

आज के युग में विश्व स्तर पर अंतरराष्ट्रीय व्यापार के संदर्भ में रोज़ाना इस तरह के कई कार्यक्रम देखने को मिलते हैं। इस तरह के कार्यक्रमों से प्रभावित होकर विश्व भर की संस्थायें अपनी रणनीति, व्यवसायिक नज़रिया और निवेशों में बदलाव करती रहती हैं। कभी-कभी इस तरह के बदलाव धीरे-धीरे होते हैं और कुछ मामलों में अचानक परिवर्तन भी देखा जाता है।

इस बदलते दौर में संस्थाओं ने यह जान लिया है कि व्यापार में बदलाव होना कार्य का एक अभिन्न हिस्सा है उन्हें इसी बदलाव के अनुसार तेजी से अपने आप को ढालना पड़ेगा, इसलिये वे आये हुये मौके को हाथ से नहीं छोड़ते। ऐसी परिस्थिति में कर्मचारियों को उनकी संस्था की रणनिति में किये जाने वाले बदलावों पर सवाल नहीं उठाना चाहिये। बल्कि उनको इस पर विचार करना चाहिये कि वो संस्था में किये जाने वाले बदलाव के अनुसार अपने आप को बेहतर तरीके से कैसे ढालें।

सीखने का पहला चरण यही है कि हमें अपने पूर्वनिर्धारित विचारधारा से बाहर झाँककर देखना चाहिये। इसका अभिप्राय चीजों को अलग-अलग परिस्थिति और नज़रिये से देखने को लेकर है। किसी भी समस्या के लिए एकल दृष्टिकोण अपनाना ऐसे सहकर्मियों को विमुख कर देगा जिनके पास एक परिस्थिति के हल के लिए अलग और बेहतर विचार हों।अपने पूर्वनिर्धारित विचारधारा से बाहर निकलने का मतलब विभिन्न लोगों की राय सुनना और इन आदानों के आधार पर तथ्यों का विश्लेषण करना होता है।

कंफर्ट जोन से परे

अक्सर, हम बिना आवश्यक डेटा के एक निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं। किसी समस्या से निपटने के लिए पूर्वनिर्धारित दृष्टिकोण वाले लोग समस्या को बिना सुने सुलझाने की आदत रखते हैं। ऐसा इसीलिए है क्योंकि वे नए परिदृश्यों से आनेवाली चुनौतियाँ पसंद नहीं करते। दूसरे शब्दों में, वे अपनी पूर्वनिर्धारित दृष्टिकोण से बाहर निकलने में सहज महसूस नहीं करते हैं। हालांकि, कुशल प्रबंधकों को हमेशा नए संघर्षों का सामना करने के लिए खुद को चुनौती देना पसंद होता है, ताकि वे बेहतर प्रबंधक बन सकें।

समीक्षात्मक विचारधारा वाले लोगों की गुणवत्ता

ऐसे कौन से गुण हैं जो सभी सभी समीक्षात्मक विचारधारा वाले लोगों मे देखने को मिलता है? इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि क्या यह गुण किसी व्यक्ति को समीक्षात्मक तरीके से सोचने में बेहतर बनाता है? ऐसा पाया गया है कि कुछ लोग तार्किक निर्णय लेने में दूसरे लोगों से बेहतर होते हैं।

सही फैसला लेने के पीछे महारत का राज उनकी शिक्षा की गुणवत्ता या उनके द्वारा की गई विभिन्न स्थानों की यात्रा नहीं है। इसका रहस्य इस बात में छिपा है कि अपने जीवन में अपनी शिक्षा को उन्होंने कितना लागू किया है और जिन स्थानों की उन्होंने यात्रा की है और जिन लोगों से उन्होंने बातचीत की है उनसे उन्होंने क्या सीखा है?

शोधकर्ताओं का कहना है कि दुनिया भर में समीक्षात्मक सोच रखने वालों में चार बाते समान होती हैं। जैसे −

  • वे सक्रिय श्रोता होते हैं।
  • वे जिज्ञासु होते हैं।
  • उनके पास आत्मानुशासन होता है।
  • वे विनम्र और सहज होते हैं।

सक्रिय श्रवण(सक्रिय होकर सुनना)

यह एक मशहूर कहावत है कि अच्छे संचारक वह नहीं होते हैं जो अच्छा बोलते हैं बल्कि वे होते हैं जो अच्छे से दूसरों की बातों को सुनते हैं। भले ही आप एक प्रेरक वक्ता हों लेकिन जब आप दूसरों की बातों को सही ढंग से नहीं सुनते हैं तो आप बोलते समय अपने उद्देश्य से भटक जाते हैं। ऐसे मामलों में आपके सभी महत्वपूर्ण विचार और टिप्पणियाँ पूरी तरह से व्यर्थ हो जाती हैं।

एक सक्रिय श्रोता होने का मतलब यह है कि जो वक्ता कह रहा है उसके प्रति आपको पूरी तरह से सतर्क और सचेत रहना होगा। इतना ही नहीं एक सक्रिय श्रोता वक्ता के शब्दों की व्याख्या करते हुए, वक्ता द्वारा भेजे गए ऐसे अवचेतन संदेशों को भी समझ सकता है जिसे वक्ता ने अपने संदेशों में वक्तव्य के दौरान स्पष्ट रुप से कहा ही न हो।

सक्रिय श्रवण(सक्रिय होकर सुनना)

जिज्ञासा

एक जिज्ञासु मस्तिष्क में हमेशा सीखने की चाह होती है। ऐसा पाया गया है कि जिन लोगों के पास अच्छे निर्णय लेने का कौशल होता है, वे हमेशा नई चीजों को सीखने की कोशिश करते हैं। यह जिज्ञासा उन्हें किसी भी संकट का सामना करने के लिए तैयार करती है, ताकि वे किसी भी संकट को सर्वश्रेष्ठ तरीके से संभाल सकें। ऐसे लोग हमेशा सवाल पूछना पसंद करते हैं और बिना तर्क या तर्क-शक्ति के किसी भी प्रकार की व्याख्या या स्पष्टीकरण को स्वीकार नहीं करते हैं।

जिज्ञासा और दखलंदाजी के बीच थोड़ा ही फर्क होता है। कुछ लोग दूसरों के जीवन और व्यवसाय में दखल देने की कोशिश करते हैं और ऐसे लोगों को आम तौर पर दखलंदाजी करने वाला व्यक्ति कहा जाता है। इसके विपरीत, जिज्ञासु होने का मतलब है कि अफवाहों पर ध्यान देने के बजाय अपनी योग्यता का उपयोग करके कुछ नया सीखा जाये।

आत्मानुशासन

आत्मानुशासन के मुख्य उद्देश्यों में से एक यह है कि आप अपने विचारों को दूसरों से प्रभावित होने से रोकें ताकि आप एक स्वतंत्र तर्क शक्ति और तर्कसंगत क्षमता के स्वामी बन सकें। समीक्षात्मक सोच रखने वाले लोग दूसरों की तुलना में अपने आस-पास के वातावरण और अपनी ताकत तथा कमजोरियों के बारे में दूसरों से ज्यादा अवगत होते हैं। इसका अहम कारण उनके उपर दुनिया के सुधार की जिम्मेदारी का दायित्व है। उनमें समानुभूति के साथ-साथ और सभी की गुणवत्ता के प्रति एक विश्वास होता है।

विनम्रता

किसी कार्य के सफल होने पर अपने योगदान को कम बताना और दूसरों को श्रेय देने विशेषता को ही विनम्रता कहते हैं। विनम्रता का मतलब यह भी है कि नए विचारों का दिल से स्वागत करना। समीक्षात्मक सोच रखने वाले व्यक्ति हमेशा सीखने के दौरान विनम्र होते हैं ताकि बिना अंहकार के वे नई चीज़ों को आत्मसात कर पायें।

समीक्षात्मक सोच - वर्कशीट

खुद का विकास करने का मतलब व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में वर्तमान और दीर्घकालिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नियमित योजना बनाना है। व्यक्ति को खुद का विकास करने के लिए अपनी वर्तमान स्थिति का जायजा लेना, रणनीति बनाना और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के जरूरी कार्य करना होता है।

निम्न क्रियाकलाप का डिज़ाइन आपके वर्तमान स्थिति को अच्छी तरह से समझने के लिये कुछ ऐसे किया गया है कि आपके लिये क्या उपयोगी है और आपको क्या जानने की जरूरत है जो आपके जीवने में एक बदलाव ला सके। सोच समझकर नीचे दिये गये रिक्त स्थानों में अपने सवालों का जवाब भरें।

क्षमताएँ

  • आपकी सबसे बड़ी संपत्ति क्या है?

  • वास्तव में आप किस काम में अच्छे हैं?

  • लोग आपकी कौन सी काबलियत को पसंद करते हैं?

  • आप अपने सहकर्मियों से बेहतर क्या करते हैं?

  • ऐसी कौन सी चीज है, जिससे आप सबसे ज्यादा संतुष्ट होते हैं?

  • जीवन का ऐसा कौन सा अनुभव है जो आपको दूसरों को आप से अलग करता है?

सुधार के आसार

  • आप में कौन सी निपुणताओं और दक्षताओं को और बेहतर बनाने की आवश्यकता है?

  • दूसरों में कौन सी निपुणताएँ हैं जो आप खुद में चाहते हैं?

  • आपके कार्यालय में कौन सी परियोजना है जो आपको नए कौशल सीखने में मदद करेगी?

  • आगे बढ़ने के लिए आपको कौन से प्रमाणपत्र की आवश्यकता है?

  • कौन सा रास्ता विभाग में आपको कामयाबी के शिखर पर पहुँचायेगा?

  • आपके दैनिक व्यावसायिक जीवन में विकास के क्या अवसर हैं?

  • आप अपने विकास का ब्यौरा कैसे देंगे?

इच्छाएं

  • क्या आप एक बेहतर लेखक बनना चाहते हैं?

  • क्या आप जिम जाकर अपने शरीर को सुधारना चाहते हैं?

  • क्या आप अपने नेतृत्व कौशल को बेहतर करना चाहते हैं?

  • क्या आप एक अच्छे संबोधक बनना चाहते हैं?

परिणाम

  • इन लक्ष्यों की प्राप्ति आपके लिए क्या मायने रखती है?

  • आपके लिए इस सफलता के क्या मायने हैं और यह आपको कैसे प्रभावित करेगा?

  • यदि आप खुद में वो सारे वांछित परिवर्तन कर लें जो तो आपका जीवन किस तरह से बदल जाएगा?

  • आपने अपने द्वारा चुने हुये क्षेत्रों में अपने विकास का आकलन कैसे करेंगे?

समीक्षात्मक सोच - संप्रेषण सुधार

सोचने का एक अहम उद्देश्य अलग-अलग विचारों तथा तथ्यों को जोड़ने की क्षमता हासिल करने के साथ-साथ अंत में संसक्त चित्र प्राप्त करना है। जब हमको यह पता चलता है कि हमारे विचार प्रतिष्ठित विचारकों की सोच से मिल रहे हैं तभी हमारे विचारकों को ज्यादा अहमियत और वज़न मिलता है। हमारे दिमाग में बनी हुयी विचारों की संरचना का ढाँचा उन लोगों के विचारों और तरीकों पर निर्भर करता है जिन लोगों का हम अनुसरण करते हैं। विचारों के जुड़ाव से हमारी सोच तथा व्यवहार को एक दिशा मिलती है और साथ ही साथ ये हमारे अंदर की जागरुकता को भी बढ़ाती है।

समीक्षात्मक सोच के लिए निष्पक्षता बहुत मायने रखती है। अपने यक्तिगत समीकरणों और रिश्तों को दूर रखकर उपलब्ध तथ्यों और डेटा के आधार पर निष्कर्ष निकालने के अभ्यास को ही निष्पक्षता कहते हैं। उदाहरण के तौर पर, एक रेफरी किसी खिलाड़ी का मित्र भी हो सकता है पर जब वो उस (अपने मित्र) खिलाड़ी को गलती के लिए दंडित करता है तो वहाँ उसका व्यक्तिगत संबंध बीच में नहीं आना चाहिये।

निर्णय लेते समय भावनाओं को शामिल नहीं करना चाहिए और कुछ भावनाओं को समीक्षात्मक सोच के लिए रखना चाहिए जो निर्णय लेने से अलग है। एक बेकरी की दुकान की मालकिन मुफ्त होम डिलीवरी सेवा शुरू करके अपने ग्राहकों की मदद करना चाहती है- यह समीक्षात्मक सोच है जिसमें उसके ग्राहकों की भावनाएँ शामिल है। हालांकि, उसे पता है कि इस सेवा की लागत उसके व्यवसाय के लिए आर्थिक रूप से सहीं नहीं होगी, फिर भी उसे एक कठिन निर्णय लेने के साथ-साथ अपने विचारों में भी बदलाव लाना है।

स्व-जागरूकता किसी के विचारों, सीमाओं और भावनाओं के बारे में जागरूक होने की विशेषता है। जो लोग गंभीरता से सोचते हैं वे अक्सर यह देखने के लिए खुद का आकलन करते हैं कि परिस्थितियों के बदलते क्रम में वे कहां खड़े है, क्या वे रेखा के आगे हैं या पीछे। यह आवधिक मूल्यांकन मौजूदा स्थितियों और वैश्विक परिदृश्यों में परिवर्तन के अनुसार अद्यतन बनाए रखने में सहायता करता है।

इसलिए, संप्रेषण एक उद्देश्य के साथ किया जाना चाहिए और ऐसा तभी संभव है जब हम लगातार पढ़ते रहें और नई चीजों के बारे में जानकारी प्राप्त करते रहें ताकि हमारा निर्णय भावनात्मक प्रतिक्रिया के बजाय तथ्यों पर आधारित हो। इसके अतिरिक्त, हमें अपनी कमजोरियों के बारे में भी अवगत रहना चाहिए और जल्द से जल्द इन्हें दूर करने की कोशिश करनी चाहिए।

कारों का व्यापार करने वाली कंपनी के वित्तीय अधिकारी के रूप में आप एक विचित्र स्थिति का सामना कर रहे हैं। कंपनी का मालिक एक अनुभवी व्यक्ति है और उसे अपने अनुभव के बल पर फैसला लेने में मज़ा आता है। उसे बीते समय में इस तरीके से कई बार सफलता मिली है लेकिन अब देश की अर्थव्यवस्था में बदलाव आ रही है।

मालिक खुद को बाजार से जुड़े हर पहलू के संबंध में सजग रखता है, हालाँकि, व्यवसाय में अपने सहज शैली के चलते वो 30 सेव्स को खरीदने की योजना इस उम्मीद पर बना रहा है कि कारें क्रिसमस से पहले बिक जाएंगी।

इस कंपनी के वित्तीय सलाहकार के रूप में आपका क्या निर्णय होगा और यदि आपका फैसला उसके फैसले से अलग है, तो आप उसे अपने फैसले के लिए उसे कैसे मनायेंगे?

समीक्षात्मक सोच - समस्या - समाधान

समीक्षात्मक सोच का अस्तित्व सदियों से है। वास्तव में, दुनिया के सभी दर्शनशास्त्रियों और कवियों ने वास्तविकता से परे देखने की महारत हासिल कर ली है, ताकि वे चीजों के गहन अर्थों और दुनिया की कार्य पद्धति को समझ सकें। जबकि सदियों से सेब पेड़ से गिर रहे हैं, लेकिन केवल न्यूटन ने ही सेब के पेड़ से गिरने के पीछे के कारण के बारे में सोचा और और गुरुत्वाकर्षण के नियमों के बारे में व्याख्या की।

मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक समस्या वह रास्ते की तरह है, जो प्वाइंट ए और प्वाइंट बी को जोड़ता है, जिसमें प्वाइंट ए समस्या को सुलझाने वाले व्यक्ति की वर्तमान स्थिति को दर्शाता है और प्वाइंट बी एक लक्ष्य है जहाँ वह पहुँचना चाहता है। सभी समाधान प्वाइंट ए से प्वाइंट बी तक यात्रा करने के रास्ते में ही मौजूद होते हैं। समीक्षात्मक सोच के जरिये लोग उस पथ को तलाश पाते हैं जो प्वाइंट ए से प्वाइंट बी को जोड़ा हुआ है। इस स्थिति को छुपे हुए तथ्यों को उजागर करने की प्रक्रिया कही जाती है, यही वो माध्यम है जिसके सहारे लोग अपने विचारों को जोड़कर एक निष्कर्ष पर पहुंचते हैं। यह कहना अनुचित नहीं होगा कि प्रभावशाली तरीके से समस्या हल करने के लिए समीक्षात्मक सोच एक आगाज के तौर पर सामने आती है।

समस्या हल करने के वांछित तरीके या कामकाज में आनेवाली विसंगतियाँ उतार-चढ़ाव की तरह होती हैं। हम में से कई लोग जिस तरह से विसंगति को हटाकर समस्याओं को हल करना चाहते हैं, उससे ऐसी स्थिति में एक पूर्णवादी सोच की प्रक्रिया अपनाने में मदद मिलती है जहाँ हम लिये गये निर्णय पर विचार करने के अलावा कोई और विचार स्वीकार नहीं करते। समीक्षात्मक सोच रखने वाले लोग विसंगतियों को दूर करने में बिल्कुल रूचि नहीं रखते हैं। वे उन्हें परिवर्तन के रूप में देखते हैं, जिसका अर्थ है कि उनके समस्या को सुलझाने के तरीकों में परिवर्तन करना है। वे समस्याओं को हल करने और समाधान खोजने के लिए संभवतः बेहतर तरीके के रूप में इन परिवर्तनों का अनुसरण करते हैं।

किसी भी समस्या का समाधान हल करने की कोशिश करते समय अपनी बुद्धि पर भरोसा करना सही है। एडीसन जैसे कई विचारक अपने जीवन में ऐसे चौराहे पर खड़े हुए हैं जहां उन्हें कई विकल्पों में से एक को चुनना पड़ा और उनको यह बिल्कुल भी नहीं पता था कि उनको कौन सा रास्ता चुनना चाहिये। ऐसे मामलों में वे अपने विवेकशीलता पर भरोसा करते थे और समाधान का पता बुद्धिशीलता और अंतर्ज्ञान के माध्यम से लगाने में सक्षम थे।

लोगों में यह आदत अक्सर पायी जाती है कि जब उनको किसी समस्या का समाधान दिखता है तो वे उसी के पीछे भागने लगते हैं और ये भूल जाते हैं कि एक ही समस्या के और भी समाधन हो सकते हैं, और यह जरूरी भी नहीं है कि जो समाधान आपने चुना है वही सबसे अधिक तार्किक और व्यावहारिक हो। समीक्षात्मक सोच से हमें एक समस्या के कई समाधान खोजने में मदद मिलती है और इस प्रकार समीक्षात्मक सोच के जरिये हम एक समस्या को सुलझाने के लिये सबसे बेहतरीन तरीके का चुनाव कर सकते हैं।

किसी भी समस्या को हल करते समय निम्न कारकों पर ध्यान देना चाहिए।

  • क्या समस्या सुलझाने वाला यह तरीका तर्कसंगत रूप से व्यवहार्य है?

  • क्या समस्या सुलझाने वाला यह तरीका इतना विस्तृत है?

  • क्या समस्या सुलझाने वाले तरीके में कुछ और भी शामिल है?

  • क्या कुछ लोगों द्वारा समाधान का विरोध किया जा रहा है और क्या उनकी आपत्तियों पर विचार किया गया है?

इन बिंदुओं पर ध्यान देने से हमें एक ऐसा समाधान निकालने में सहायता मिलेगी जो न केवल सभी लोगों के लिए स्वीकार्य होगा बल्कि इसे सुलझाने में काफी मदद भी मिलेगी। नीचे एक केस स्टडी दी गयी है जिसके जरिये समस्या सुलझाने के अापके कौशल की जाँच की जायेगी। समस्या को संबोधित करने के विभिन्न तरीकों के बारे में पता करने के लिये आपको समीक्षात्मक सोच के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है।

आपकी कंपनी में कुछ ऐसे प्रबंधक हैं जो सप्ताह के अंत में अपनी टीम द्वारा की जाने वाली बिक्री की रिपोर्ट देते हैं और जब बिक्री की संख्या को उत्पादकों की संख्या से मिलाया जाता है तो आपको यह पता चलता है कि कुछ संख्याएं आपस में मेल नहीं खातीं।

एक और मुद्दा यह है कि जब बिक्री की रिपोर्ट दी जाती है, तो पिछले सप्ताह का लेनदेन नहीं दिखता है। इससे बिलिंग और रिकॉर्ड के रख-रखाव में समस्याएं आती हैं। ग्राहक सेवा विभाग को ऐसे प्रबंधकों की काफी शिकायतें भी मिली हैं।

प्रबंधन ने अपने वित्त प्रबंधकों के साथ इस मामले का अनुवर्तीकरण करने का निर्णय लिया है और इस मामले को दूसरे कार्यबल को सौंपने के लिए कहा है, जो इस समस्या का सबसे अच्छा समाधान ढूंढ सकते हैं।

इस कार्य बल के प्रमुख के तौर पर आप इस समस्या को कैसे हल करेंगे?

समीक्षात्मक सोच - बदलते परिप्रेक्ष्य

लोगों का मानना है कि जितनी तेजी से वे किसी समस्या का समाधान करते हैं उनके पास समस्या को सुलझाने का उतना ही बेहतर कौशल होता है। यह विचार सामान्य लोगों के मन में पारंपरिक मूल्यांकन की तकनीकों की एक श्रृंखला के माध्यम से उनके बचपन से ही कूट-कूट कर भरा होता है। ऐसी तकनीकों को अंतिम अवधि की जाँच के तौर पर जाना जाता है जिसमें सीमित समय सीमा के भीतर कुछ सवालों के जवाब देने होते हैं।

यह सोच छात्रों को जल्द निष्कर्ष पर पहुँचने के लिए प्रोत्साहित करती है पर इसे सर्वोत्तम निष्कर्ष नहीं माना जा सकता। ऐसा देखा गया है कि यह तरीका छात्रों की पार्श्विक चिन्तन पर एक विनाशकारी प्रभाव छोड़ता है। कल्पनात्मक जवाब देने के बजाय उन्हें किताबी सिद्धांतों के अनुसार संस्थापित किया जाता है। दूसरे शब्दों में नियमों को चुनौती देने के बजाय वे ऐसे नियमों का पालन भलिभाँति करना सीखते हैं, जो उनमें प्रगति और नवीनता भर देते हों। एक सरल प्रयोग से हम इस बात का अभिप्राय भलिभाँति जान पायेंगे।

निम्नलिखित शब्दों का टुकड़ा वास्तव में एक वाक्य है जिसमें से एक स्वर हटा दिया गया है। यदि आप स्वर को केवल ग्यारह बार ग्यारह स्थानों पर उपयोग करते हैं तो आपको वाक्य मिल जाएगा। यह पता लगाने की कोशिश करें कि वाक्य क्या हो सकता है।

VRYFINXMPLARXCDSWHATWXPCT

अधिकांश लोग जो इसका उत्तर जानने की कोशिश कर रहे हैं वे जल्दबाजी में ये मानने की गलती करेंगे कि पहला शब्द 'वेरी' है और इस प्रकार वे यह मानकर ये निष्कर्ष निकाल लेंगे कि छोड़ा हुआ स्वर 'ई' है। लेकिन ज्योंही वे आगे बढ़ेंगे तो उनको यह पता चलेगा कि यदि ग्यारह स्थानों पर ग्यारह बार 'ई' लगा दिया जाये तो इससे शब्दों के इन टुकड़ों से एक अर्थपूर्ण वाक्य नहीं बन पायेगा। उनके इस भ्रांति का कारण उनके द्वारा जल्दबाजी में लिया जाने वाला गलत निर्णय है कि पहला शब्द 'वेरी' है। इस तरह यह साफ है कि यहाँ वे गलत शब्द से अर्थपूर्ण वाक्य बनाने का व्यर्थ प्रयास कर रहे हैं।

जब हमें पूर्वाग्रहित धारणायें दूसरे तथ्यों के बारे में नये आयाम तलाशने से रोकती हैं तो हम उस सीमित सोच के अंतर्गत खुद के लिए एक समाधान पाने के प्रयास में फंस जाते हैं। दूसरे शब्दों में, हम बाकी सभी विकल्पों को बिल्कुल अलग समझते हैं या इस तरह की स्थिति में शब्दों में निहित अलग-अलग अंतर होने की वजह से पहेली सुलझाने के हमारे तरीके मेल नहीं खाते हैं।

अलग शब्द इस्तेमाल करके पहेली को हल करने की कोशिश करना कैसा रहेगा? चलिये हम "एवरी"शब्द को लेते हैं। आपको ऐसा लगेगा कि समस्या का समाधान हो गया है। ये शब्द मिलकर एक सार्थक वाक्य बनाते हैं, जो −"एवेरी फाइन एग्ज़ेंप्लार एक्सीड्स वॉट वी एक्सपेक्ट" के रूप में पढ़ा जाता है।

दुनिया भर में समस्या का समाधान करने वाले लोग "स्पीड़ वेब" के रूप में जाने जाते हैं, वे लोग ज्यादा से ज्यादा  समस्या के समाधान तेजी से करने के लिये लालायित रहते हैं। उन्हें यह एहसास कराने की आवश्यकता है कि गति का होना भी आवश्यक है लेकिन यह समीक्षात्मक सोच के हिसाब से पर्याप्त नहीं है।

गति रचनात्मक सोच और निर्णायक विश्लेषण में सहायक होना चाहिए। जल्दबाजी वाले फैसले व्यक्तिगत निर्णय  और व्यावसायिक स्तर दोनों के लिये विनाशकारी साबित होते हैं। विडंबना यह है कि जल्दबाजी में लिया गया फैसला गलतियों को सुधारने के समय अधिक हानिकारक साबित होता है। ऐसी गलतियों से आसानी से बचा जा सकता है यदि हम प्रारंभिक चरणों में नियोजन और निष्पादन पर उचित विचार करें।

जब हम व्यक्तिगत या व्यावसायिक संकट का सामना करते हैं तो हमें अपनी समस्या का ठीक-ठीक पता लगाने के साथ-साथ उन परिणामों को भी लेकर आगे बढ़ना चाहिये जो बेहतर और तेज़ हों। एक हालिया रिपोर्ट में बताया गया है कि लगभग दो-तिहाई प्रबंधक अपने संगठन के लिए 50% से कम बुद्धिशक्ति का उपयोग करते हैं।

आज के समय में खुद के कौशल में तेजी से सुधार करने के लिये टीम और संस्थान के सभी सदस्य या बहुत से लोग व्यकतिगत रूप से भी प्रशिक्षण लेते हैं। इसलिये अब बहुमूल्य वस्तु पर ज्यादा ध्यान ने देकर जरुरतों पर समीक्षात्मक तरीके से ज्यादा सोचने की जरूरत है।

समीक्षात्मक सोच से जुड़े सवाल

निम्नलिखित प्रश्नोत्तरी को समीक्षात्मक सोच की क्षमताओं के बारे में बताने के लिए डिज़ाइन किया गया है। प्रत्येक समस्या के संदर्भ में समाधान हेतु पाठकों को अधिक से अधिक समय खर्च करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। प्रश्न ऐसे डिज़ाइन किए गए हैं कि उत्तर की प्राप्ति समाधान की संभावनाओं पर विचार करने से ही हो सकता है।

यह जानने का प्रयास करें कि सर्वश्रेष्ठ समाधान क्या है।

  • 1) यदि आपके पास केवल 8 और 3 लीटर के जग हैं तो आप पूर्णतः 4 लीटर पानी कैसे प्राप्त करेंगे जबकि दोनों जगों पर मानक अंकित नहीं हैं? आपके पास चालू हालत में पानी का एक नल है।

  • 2) 1,000,000 में ऐसी कौन सी संख्या हम जोड़ेंगे जिसका गुणा 1,000,000 से ही करने पर गुणनफल का योग जोड़ के योग से ज्यादा नहीं होगा।

  • 3) इस शब्दों के माध्यम से ऐसी कौन सी बात कही गयी है जो सभी के लिये कॉमन है?

    a. निर्णय

    b. और एक

  • 4) इस अनुक्रम में 50वीं संख्या क्या है?

    5, 11, 17, 23, 29, 35, 41, …

  • 5) दोनों के लिए एक शब्द का जवाब निर्धारित करें

    वो जिसे जहाज या नाव का फर्श कहा जाता है ,

    वे जो मुझे समुद्र की ओर ले जाती हैं;

    जहा पर भी 'C' हो उसे 'S' मान लीजिये ,

    आप स्कूल में मुझ पर बैठते है।

    मैं क्या हूँ?

  • 6) निर्धारित करें दोनो एक शब्द वाले उत्तर

    'सिक' (बीमार) के लिए एक और शब्द ,

    आपका माथा बहुत गर्म है;

    अब समाने एक 'H' लिखें,

    मैं, एक पहाड़ नहीं हूँ।

    मैं क्या हूँ ?

  • 7) दिये गये संकेत की मदद से पहेली को हल करें

    पिछले सप्ताह अलग-अलग समय में एक बतख, हंस, बकरी, और घोड़े अनाजघर में दाखिल हुये।

    सबसे पहले एक स्तनपायी जानवर दाखिल हुआ।

    बतख हंस से पहले

    हंस घोड़े से पहले घुसा।

    अनाजघर में सबसे पहले कौन दाखिल हुआ?

  • 8) इस शब्दों के माध्यम से ऐसी कौन सी बात कही गयी है जो सभी के लिये कॉमन है?

    a. CHIEDITOREF

    b. T 2222

  • 9) इन समीकरणों को सही बनाने के लिए जोड़, घटाव, गुणा और भाग -प्रत्येक चिन्ह का एक-एक बार प्रयोग करें।

    a. 600 __ 200 __ 400 __ 300 __ 200 = 200

    b. 200 __ 300 __ 600 __ 400 __ 200 = 200

  • 10) गर्मी के मौसम में एक शाम जहाज पर अपनी केबिन के बाहर आराम करते समय वीवा गहरी नींद में सो गई। जब वह उठी तो उसे लगा मानो कि वो केवल एक या दो घंटे ही सोई थी लेकिन यह सर्दी का मौसम था। यह कैसे हो सकता है?

उत्तर

  • 1) 3-लीटर के जग को तीन बार भरें और हर बार इसमें का पानी 8 लीटर के जग में डाल दें। तीसरी बार करने पर 3 लीटर वाले जग में एक लीटर पानी बच जाएगा और 8 लीटर वाला जग भर जाएगा। 8 लीटर वाले जग के पानी को बहा दीजिए और फिर 3 लीटर वाले जग से बचा हुआ एक लीटर पानी 8 लीटर वाले जग में डालें। अब फिर से 3 लीटर वाले जग को भरें और पानी को 8-लीटर वाले जग में डाल दें। 8 लीटर वाले जग में अब 4 लीटर पानी है। इस तरह से और भी संभव हैं।

  • 2) शून्य, या पूर्णांक से भिन्न अंक, या कोई भी ऋणात्मक संख्या

  • 3) a. टुकड़ों में लिये गये निर्णय

    b. एक के बाद एक

  • 4) 6 और 5 के जोड़े से 11 प्राप्त होगा, 6 और 11 के जोड़े से 17 प्राप्त होगा, 6 और 17 के जोड़े से 23 प्राप्त होगा, आदि, ऐसा तब तक करें, जब तक कि 6 को 50 बार न जोड़ा जाए है, अंतिम उत्तर 299 मिलेगा।

  • 5) डेक, डेस्क

  • 6) a. अस्वस्थ

    b. पहाड़ी

  • 7) बकरी

  • 8) a. मुख्य संपादक

    b. दो लोगों के लिए चाय

  • 9) a. 600 × 200 / 400 − 300 + 200 = 200

    b. 200 / 300 × 600 − 400 + 200 = 200

  • 10)हवाई से न्यूजीलैंड की यात्रा करते समय जहाज के भूमध्य रेखा को पार करने से पहले ही वीवा सो गई थी। जब वह सोई तो जहाज भूमध्य रेखा के उत्तर में था- जहां गर्मी का मौसम था और दो घंटे बाद जब वह उठी तो जहा भूमध्य रेखा के दक्षिण में था- जहां सर्दी का मौसम था।

समीक्षात्म सोच के पहलू

तुरंत ही समाधान की चाह रखने वाली आज की दुनिया में समस्या का समाधान करने वालों के पास प्रायः पहले से किसी स्थिति से निपटने के लिये अच्छी तैयारी हेतु पर्याप्त समय नहीं होता है। यदि पर्याप्त समय प्रदान किया जाए तो कई लोग समस्याओं का सही समाधान ढूंढ़ सकते हैं। लेकिन जब किसी समस्या को उसी समय सुलझाने की ज़रूरत होती है तो लोग जल्दबाजी में फैसले ले लेते हैं।

जल्दबाजी में लिए गए फैसले अक्सर गलत होते हैं और समय बीतने के साथ इनका प्रभाव सामने आता हैं। क्योंकि जल्द समाधान खोजने के चक्कर में अक्सर कई महत्वपूर्ण मापदण्ड या तो छूट जाते हैं या फिर नज़रअंदाज़ कर दिये जाते हैं जिनकी महत्ता योजना के कार्यान्वयन के बाद के चरणों में पता चलती है।

जल्द फैसला लेने की क्षमता जन्मजात नहीं होती। यह एक ऐसा गुण जो किसी भी व्यक्ति में हो सकता है और इस कला को और भी निखारा जा सकता है। कहने का तात्पर्य यह है कि अलग-अलग परिस्थितियों में समस्या को अलग-अलग दृष्टिकोण से देखना चाहिये ताकि आखिर में दिये गये समाधान विस्तृत और समावेशी हों।

समीक्षात्मक सोच के पहलू

समीक्षात्मक सोच के तीन महत्वपूर्ण पहलू समस्या सुलझाने के इस दृष्टिकोण पर निर्भर करते हैं −

  • जल्दी सोचने की प्रवृत्ति − एक ऐसा गुण है जिसके जरिये कई लोग अचानक सामने आनेवाले प्रश्नों का उत्तर तुरंत और सटीक तरीके से दे देते हैं जबकि दूसरे लोगों को घबड़ाहट के मारे उत्तर देने में असहजता होती है। ऐसी प्रवृत्ति में महारत हासिल करने के लिए बहुत ही अभ्यास की आवश्यकता होती है और आप इसमें एक समय-सीमा को खयाल में रखते हुये जितना जल्द सोचने का अभ्यास करेंगे, उतनी ही जल्दी आपको संतोषजनक उत्तर की प्राप्ति होगी।

  • समीक्षात्मक सोच − समस्या का समाधान करने वाले कई लोग पारंपरिक तरीकों से समस्याओं का समाधान कर सकते हैं, हालांकि, जब उन्हें एक कठिन समस्या का सामना करना पड़ता है तो वे कुछ भी करने में सक्षम नहीं होते। इसके पीछे का कारण उनकी सोच है, जिसमें वे मानते हैं कि तत्कालीन स्थिति उनकी समस्या नहीं है और वे इस समस्या को हल करने में अपने कीमती समय को नहीं लगायेंगे बल्कि इसे दूसरे ऐसे कामों को पूरा करने में खर्च करेंगे जिन्हें वे कर पाने में सक्षम हैं। ऐसा करके वे अपने ऐसे विचारों और विश्लेषणात्मक क्षमता को प्रतिबंधित करते हैं जो समीक्षात्मक सोच को आगे बढ़ाने के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण है।

  • विश्लेषणात्मक सोच − अपने जीवन में कई समस्याओं और परिस्थितियों का सामना करने और तार्किक और वैज्ञानिक तरीके अपनाकर भी हम इन स्थितियों को संभालने को लेकर इसके बारे में कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं ले पाते हैं। इसलिये विश्लेषणात्मक सोच में समस्या को परिभाषित करने और समस्या के लिए संभावित समाधानों की सूची बनाने जैसे आयाम शामिल हैं। इसके बाद सबसे अच्छे समाधान का निर्धारण समस्याओं की पूरी सूची बनाकर किया जा सकता है।

समीक्षात्मक सोच का आत्मसात करने के लिये मनुष्य को खुले विचारों वाला होना जरूरी है, क्योंकि इससे लोग को अपने तत्कालीन सोच से बाहर निकल पाते हैं और प्रभावी ढंग से निष्कर्ष पर पहुँच पाते हैं। इसके कई फायदे हैं, जैसे यह दृढ़ निश्चय, संचार, और समस्या सुलझाने के कौशल को बढ़ाने में मददगार साबित होता है।

इसके अलावा समीक्षात्मक सोच हमारी भावनात्मक बुद्धिमता को भी विकसित करने में हमारी सहायता करती है। समीक्षात्मक सोच के लिए यह आवश्यक है कि, कोई व्यक्ति डेटा विश्लेषण के दौरान अपने परिप्रेक्ष्य को बदलकर समस्या के समाधान के प्रति अपना दृष्टिकोण बदले।

समीक्षात्मक सोच - सुधार

समीक्षावादी व्यक्ति को प्रभावशाली बनने के लिए कई विशेषताओं की आवश्यकता होती है। इन विशेषताओं में जिज्ञासा, नम्रता, निष्पक्षता, आत्म-जागरूकता और सक्रिय श्रवण जैसे कई गुणों का समावेश किया गया है। आज के पेशेवर दुनिया में एक कर्मचारी से ऐसे कौशल की उम्मीद की जाती है क्योंकि इन योग्यताओं के माध्यम से उसे संगठन में काम करते हुये संगठन के वैल्यु में एक संपत्ति की तरह देखा जाता है।

इन कौशलों में से कुछ की सूची बनाते हैं और देखते हैं कि इन कौशल के क्या खासियत है।

तकनीकी कौशल

यह वित्तीय प्रणालियों को समझने और उनका उपयोग करने की दक्षता है। इसके तहत निश्चित समय में लेनदेन को सही ढंग से पूरा करने का काम शामिल है। बेहतर तकनीकी कौशल हासिल करने का मतलब यह भी है कि आप प्रणाली की त्रुटियों, संदेशों और विसंगतियों को समझ सकें ताकि समय पर उनको सही ढंग से सुलझा सकें।

विश्लेषणात्मक कौशल

यह समस्याओं का विश्लेषण करने, उनके घटकों को समझने और प्रक्रिया के अंतर्निहित कारणों को देखकर या विभिन्न कार्यवाही के परिणामों के बारे में सोचकर व्यवस्थित तरीके से उन्हें हल करने की एक संगठित क्षमता है। उदाहरण के तौर पर बैंक कर्मचारियों में विश्लेषणात्मक कौशल कुछ इस प्रकार होंगे जैसे −

  • वास्तविक वित्तीय समस्याओं का क्रमश: विश्लेषण करना।
  • गलत लेनदेन की जांच के बाद उसके कारण को पहचाना।
  • वित्तीय विकल्पों पर विचार करके उचित समाधान पर पहुंचने के लिए मुद्दों का विश्लेषण करना।

समीक्षात्मक सोच

यह किसी समस्या को पहचानने, त्रुटि खोजने, उपलब्ध प्रासंगिक जानकारी को समझने और इन निष्कर्षों के परिणामों को सुव्यवस्थित करके अंतिम समाधान तक पहुँचने की क्षमता है।

निर्णय लेना

इसके अन्तर्गत संदेह, प्रत्यक्ष अनिश्चितताओं और अनुसंधान की प्रक्रियाओं को चलाने में आनेवाली कठिनाइयों को संबोधित करने के बाद किसी समाधान पर पहुंचना शामिल है। इसमें समस्याओं को सटीक जानकारी के तौर पर परिभाषित करने और उपलब्ध आंकड़ों को इकट्ठा करने के लिए संभावित स्रोतों की पहचान करने से लेकर उपलब्ध विकल्पों की समीक्षा के बाद सबसे अच्छे विकल्प की तलाश करने जैसे काम इसके दायरे में आते हैं।

संचार

यह व्यक्ति या समूह के विचार, राय या सलाह को मौखिक या लिखित रूप से देने की एक प्रक्रिया है। इसमें ठीक से संवाद करने के लिये बातचीत के दौरान लोगों को सक्रिय रूप से सुनने की सलाह दी जाती है।

लोग अक्सर अपनी सोच के अनुसार संक्षिप्त व्याख्या करने की कोशिश करते हैं (शब्दों को सुनने के आधार पर उनके बारे में अलग-अलग तरह से व्याख्या)। यह दशा एक प्रतिबिंब की तरह होती है जिसमें भाषण में बोलने वाले के व्यक्तित्व की परछाईं साफ नज़र आती है।

इसके अतिरिक्त हाव-भाव का इस्तेेमाल किसी भी वक्ता को एक विषय पर विस्तृत रूप से बोलने के लिए प्रोत्साहित ही नहीं करता है बल्कि शब्दों के साथ शारीरिक हाव-भाव का ताल-मेल श्रोताओं को वक्ता से इस तरह से जोड़ पाता है जैसे कि वे उसके द्वारा बोले गये शब्दों से उभरकर आनेवाले विचारों का हस्सा बन रहें हों।

सवाल पूछते समय यह आवश्यक है कि आप सवाल पर स्पष्ट रुप से विचार करें क्योंकि यह आपकी समझ और ज्ञान के स्तर को दर्शाता है। सवाल गुमराह करने वाला न होकर बिल्कुल प्रासंगिक होना चाहिये।

टाईम मैनेजमेंट

टाईम मैनेजमेंट प्रक्रियाओं का सेट है जो कार्यकुशलता और उत्पादकता में वृद्धि करने के साथ-साथ कार्यों की उपलब्धि भी सुनिश्चित कराता है। इसके अंतर्गत सूचनाओं का संकलन और एकत्रीकरण, कार्य प्राथमिकता निर्धारण, काम की मौजूदा स्थिति पर नज़र और उचित समय-सीमा के भीतर काम को पूरा करने जैसे आयाम शामिल हैं।

सत्यनिष्ठा

किसी भी संस्था का एक इमादार कर्मचारी संस्था द्वारा दी जाने वाली जिम्मेदारी का दायित्व हर हालत में इमानदारी और नैतिकता के साथ निभाता है। एक ईमानदार व्यक्ति जिन सिद्धांतों का निर्वाह खुद के जीवन में करता है उन्हीं सिद्धांतों के निर्वाह की अपेक्षा वह व्यावसायिक और व्यक्तिगत दोनों तरह के जीवन में दूसरों से भी रखता है।

एक ईमानदार व्यक्ति के कुछ गुण होते हैं −

  • वादों को ध्यान में रखना
  • वादों का सम्मान करना
  • जरुरतों का ध्यान रखना
  • जिम्मेदारी स्वीकार करने के लिए तैयार रहना
  • अधिकारी को सुनने के लिए तैयार रहना

विवरण पर ध्यान देना

समीक्षात्मक सोच को विकसित करने के लिए किसी व्यक्ति को अपने विचारों पर अमल करने की जरूरत होती है। उसका समस्या के प्रति समान दृष्टिकोण होना चाहिए चाहे समस्या बड़ी या छोटी ही क्यों न हो। इसकी व्यापकता के अंतर्गत स्रोत और सूचना की सटीकता की समय-समय पर जांच, अपने काम की गुणवत्ता की निगरानी, सभी प्रक्रियाओं और गुणवत्ता का पालन और आग्रह के साथ-साथ दूसरों के कामों की गुणवत्ता के मापदंडों पर खरा उतरने जैसी जिम्मेदारियाँ आती हैं।

सेवा

अच्छी सेवाएं प्रदान करना उन दृढ़ संकल्पों की श्रेणी में आता है जिनका इस्तेमाल सेवा प्रदाता ग्राहकों को अपने उत्पाद सेवाओं का विपणन करते समय करते हैं। इस सेवा के अन्तर्गत आंतरिक और बाह्य दोनों ही ग्राहकों को समय पर, गुणवत्ता और शालीन वित्तीय सेवा प्रदान करना शामिल है।

इसके अंतर्गत ग्राहकों द्वारा की जाने वाली खरीददारी में बदलाव और तरीके का विश्लेषण करके उनकी जरुरतों का पता लगाना और उनके प्रश्नों को समझकर उन्हें जल्द समाधान प्रदान करने जैसे आयाम शामिल हैं।

निगोशीएशन

प्रायः किसी बात या उद्देश्य के संबंध में अपनी बातचीत के जरिये अन्य व्यक्ति को राज़ी करने की कला निगोशीएशन कहलाती है, लेकिन इसके व्यापक परिपेक्ष्य को देखा जाये तो दो असहमत लोगों के प्रस्तावों को सुनकर सहमति हेतु बीच का रास्ता बनाने की कला भी निगोशीएशन के दायरे में आती है। इसके अंतर्गत विभिन्न दृष्टिकोणों के बीच संतुलन, अतिरिक्त विचारों का विकास और समाधान की पुष्टि करने के लिए दूसरों के विचारों को सुनने जैसे आयाम शामिल हैं।

दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा खुदरा बिक्रेता 'टेस्को' अमेरिका इस मंसूबे से आया था कि वो वहाँ के पश्चिमी समुद्र तट वाले इलाकों में छोटे किराने की दुकानें खोले जो सिर्फ ताजे खाद्य पदार्थ मुहैया कराती हों। अपना पहला फ्रेश एंड इज़ी स्टोर खोलने की इस योजना को लागू करने से पहले टेस्को ने व्यापक रुप से बाजार के बारे में ढेर सारी गहन जानकारियाँ हासिल की। यहाँ तक कि इसके लिये कई टेस्को कर्मचारी वहाँ के लोगों के खाने और खरीदारी की आदतों का अवलोकन करने के लिए अमेरिकी ग्राहकों के घरों में रहने लगे।

हालांकि, फ्रेश एंड इज़ी अवधारणा वाली ये दुकानें अपनी स्थापना के एक महीने के भीतर प्राकृतिक आपदा का शिकार हो गयीं। यह अवधारणा जनता को आकर्षित करने में असफल रही और दुकानों की इन श्रृंखलाओं को आगे बढ़ाने की योजना को वापिस लेना पड़ा।

टेसकोस यूएस बिजनेस के प्रमुख टिम मेसन ने कहा कि कंपनी यह पता लगाने में विफल रही है कि क्यों कोई अमेरिकी प्रत्येक फ्रेश एंड इज़ी दुकानों द्वारा निर्धारित की जाने वाली कीमतों की रणनीतियों से खुश नहीं हैं। इसका कारण यह था कि उन्होंने वस्तुओं के मूल्यों को लेकर तुलनात्मक अध्ययन नहीं किया था जो कि कम कीमतों पर मिलनेवाली वस्तुओं के विश्लेषण के लिये आवश्यक था। वे लोग कूपन और अन्य विशेष ऑफ़र को लेकर ही संतुष्ट थे।

समीक्षात्मक सोच आजीवन चलने वाली ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मनुष्य में जिज्ञासा, अन्वेषणशीलता के साथ-साथ सीखने की ललक बनी रहनी चाहिये। समीक्षात्मक सोच में महारत हासिल करने के लिए आपको सवाल पूछते रहना होगा और इसके साथ-साथ अपनी और दूसरों की गलतियों से भी सीखना होगा। समीक्षात्मक सोच हमें हमारी पुर्वानुमानित सोच के दायरे से बाहर लाकर  व्यावहारिक निष्कर्ष तक पहुँचने में मदद करती है। ये दूसरों की चीजों को मानने या अपनाने के साथ-साथ प्रेरणादायक और मिलनसार बनने में हमारी मदद करती है।

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