समीक्षात्मक सोच - समस्या - समाधान


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समीक्षात्मक सोच का अस्तित्व सदियों से है। वास्तव में, दुनिया के सभी दर्शनशास्त्रियों और कवियों ने वास्तविकता से परे देखने की महारत हासिल कर ली है, ताकि वे चीजों के गहन अर्थों और दुनिया की कार्य पद्धति को समझ सकें। जबकि सदियों से सेब पेड़ से गिर रहे हैं, लेकिन केवल न्यूटन ने ही सेब के पेड़ से गिरने के पीछे के कारण के बारे में सोचा और और गुरुत्वाकर्षण के नियमों के बारे में व्याख्या की।

मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक समस्या वह रास्ते की तरह है, जो प्वाइंट ए और प्वाइंट बी को जोड़ता है, जिसमें प्वाइंट ए समस्या को सुलझाने वाले व्यक्ति की वर्तमान स्थिति को दर्शाता है और प्वाइंट बी एक लक्ष्य है जहाँ वह पहुँचना चाहता है। सभी समाधान प्वाइंट ए से प्वाइंट बी तक यात्रा करने के रास्ते में ही मौजूद होते हैं। समीक्षात्मक सोच के जरिये लोग उस पथ को तलाश पाते हैं जो प्वाइंट ए से प्वाइंट बी को जोड़ा हुआ है। इस स्थिति को छुपे हुए तथ्यों को उजागर करने की प्रक्रिया कही जाती है, यही वो माध्यम है जिसके सहारे लोग अपने विचारों को जोड़कर एक निष्कर्ष पर पहुंचते हैं। यह कहना अनुचित नहीं होगा कि प्रभावशाली तरीके से समस्या हल करने के लिए समीक्षात्मक सोच एक आगाज के तौर पर सामने आती है।

समस्या हल करने के वांछित तरीके या कामकाज में आनेवाली विसंगतियाँ उतार-चढ़ाव की तरह होती हैं। हम में से कई लोग जिस तरह से विसंगति को हटाकर समस्याओं को हल करना चाहते हैं, उससे ऐसी स्थिति में एक पूर्णवादी सोच की प्रक्रिया अपनाने में मदद मिलती है जहाँ हम लिये गये निर्णय पर विचार करने के अलावा कोई और विचार स्वीकार नहीं करते। समीक्षात्मक सोच रखने वाले लोग विसंगतियों को दूर करने में बिल्कुल रूचि नहीं रखते हैं। वे उन्हें परिवर्तन के रूप में देखते हैं, जिसका अर्थ है कि उनके समस्या को सुलझाने के तरीकों में परिवर्तन करना है। वे समस्याओं को हल करने और समाधान खोजने के लिए संभवतः बेहतर तरीके के रूप में इन परिवर्तनों का अनुसरण करते हैं।

किसी भी समस्या का समाधान हल करने की कोशिश करते समय अपनी बुद्धि पर भरोसा करना सही है। एडीसन जैसे कई विचारक अपने जीवन में ऐसे चौराहे पर खड़े हुए हैं जहां उन्हें कई विकल्पों में से एक को चुनना पड़ा और उनको यह बिल्कुल भी नहीं पता था कि उनको कौन सा रास्ता चुनना चाहिये। ऐसे मामलों में वे अपने विवेकशीलता पर भरोसा करते थे और समाधान का पता बुद्धिशीलता और अंतर्ज्ञान के माध्यम से लगाने में सक्षम थे।

लोगों में यह आदत अक्सर पायी जाती है कि जब उनको किसी समस्या का समाधान दिखता है तो वे उसी के पीछे भागने लगते हैं और ये भूल जाते हैं कि एक ही समस्या के और भी समाधन हो सकते हैं, और यह जरूरी भी नहीं है कि जो समाधान आपने चुना है वही सबसे अधिक तार्किक और व्यावहारिक हो। समीक्षात्मक सोच से हमें एक समस्या के कई समाधान खोजने में मदद मिलती है और इस प्रकार समीक्षात्मक सोच के जरिये हम एक समस्या को सुलझाने के लिये सबसे बेहतरीन तरीके का चुनाव कर सकते हैं।

किसी भी समस्या को हल करते समय निम्न कारकों पर ध्यान देना चाहिए।

  • क्या समस्या सुलझाने वाला यह तरीका तर्कसंगत रूप से व्यवहार्य है?

  • क्या समस्या सुलझाने वाला यह तरीका इतना विस्तृत है?

  • क्या समस्या सुलझाने वाले तरीके में कुछ और भी शामिल है?

  • क्या कुछ लोगों द्वारा समाधान का विरोध किया जा रहा है और क्या उनकी आपत्तियों पर विचार किया गया है?

इन बिंदुओं पर ध्यान देने से हमें एक ऐसा समाधान निकालने में सहायता मिलेगी जो न केवल सभी लोगों के लिए स्वीकार्य होगा बल्कि इसे सुलझाने में काफी मदद भी मिलेगी। नीचे एक केस स्टडी दी गयी है जिसके जरिये समस्या सुलझाने के अापके कौशल की जाँच की जायेगी। समस्या को संबोधित करने के विभिन्न तरीकों के बारे में पता करने के लिये आपको समीक्षात्मक सोच के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है।

आपकी कंपनी में कुछ ऐसे प्रबंधक हैं जो सप्ताह के अंत में अपनी टीम द्वारा की जाने वाली बिक्री की रिपोर्ट देते हैं और जब बिक्री की संख्या को उत्पादकों की संख्या से मिलाया जाता है तो आपको यह पता चलता है कि कुछ संख्याएं आपस में मेल नहीं खातीं।

एक और मुद्दा यह है कि जब बिक्री की रिपोर्ट दी जाती है, तो पिछले सप्ताह का लेनदेन नहीं दिखता है। इससे बिलिंग और रिकॉर्ड के रख-रखाव में समस्याएं आती हैं। ग्राहक सेवा विभाग को ऐसे प्रबंधकों की काफी शिकायतें भी मिली हैं।

प्रबंधन ने अपने वित्त प्रबंधकों के साथ इस मामले का अनुवर्तीकरण करने का निर्णय लिया है और इस मामले को दूसरे कार्यबल को सौंपने के लिए कहा है, जो इस समस्या का सबसे अच्छा समाधान ढूंढ सकते हैं।

इस कार्य बल के प्रमुख के तौर पर आप इस समस्या को कैसे हल करेंगे?

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