व्यावसायिक कुशाग्रता की अच्छी समझ रखने वाले प्रबंधकों का यह मानना है कि उनके लिए केवल लागत में कटौती और बिक्री में वृद्धि करना पर्याप्त नहीं है। वे वर्तमान में किए गए कुछ फैसलों के दूरगामी प्रभाव को अच्छी तरह से समझते हैं जो उनके भविष्य की योजनाओं पर असर डाल सकते हैं।
किसी कंपनी के स्टाफ को मोटे तौर पर तीन समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है। −
आईए देखते हैं कि उनमें से प्रत्येक के लिए व्यावसायिक कुशाग्रता कितनी महत्वपूर्ण है। हम प्रबंधकों से शुरू करेंगे।
प्रबंधकों में एक ऐसी प्रवृत्ति होती है जिससे वो अपने विभाग को कंपनी के रूप में देखते हैं। उनके दृष्टिकोण में उनका विभाग एक अलग संस्था की तरह है, जो अन्य विभागों के प्रभाव से स्वतंत्र है।
व्यवसाय को "केवल एक विभाग" की तरह देखने से उन्हें अपनी जिम्मेदारियों को समझने और उनके विभाग के कर्मचारियों के लिए निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करता है। व्यापार को बनाए रखने के दौरान उनको व्यापार की समझ होना आवश्यक है प्रबंधकों की यह संकीर्ण और प्रतिबंधात्मक सोच अक्सर उनके शारीरिक भाषा और कर्मचारियों की दक्षता में दिखाई देती है।
एक सफल प्रबंधक बनने के लिए दैनिक आधार पर कई स्तरों पर बहुत सारे सही निर्णय लेने पड़ते हैं। इसके लिए प्रक्रियाओं, व्यय, वरीयताओं, ग्राहकों की बदलती मांगों और आंतरिक तथा प्रतिद्वंद्वियों के साथ काम करने वाली विभिन्न परियोजनाओं की एक गहरी समझ होना आवश्यक है। प्रबंधकों को महत्वपूर्ण संगठनात्मक परिवर्तनों के लिए सभी स्तरों पर निर्णय लेने की ज़रूरत होती है।
अक्सर यह देखा जाता है कि कुछ प्रबंधक केवल अपने विभागों के विकास में शामिल होते हैं। हांलाकि ये उपाय छोटे समय के लिए अच्छे परिणाम दे सकते हैं लेकिन यह देखा गया है कि इससे कर्मचारी बाकी संगठन से अलग हो जाते हैं और प्रबंधक द्वारा लिया गया निर्णय अन्य विभागों की कीमत पर उसके विभाग को सुधार की ओर ले जाता है।
एक प्रबंधक जो अपनी टीम को दिए गए काम के अधिकतर हिस्से को खुद करने की कोशिश करता है वह अपने कर्मचारियों के मन में यह धारणा बनाने में सफल होता है कि वह सब कुछ कर सकता है। ऐसा करने से उत्पादन की गुणवता बढ़ सकती है, क्योंकि प्रबंधक स्वयं सभी विभिन्न प्रक्रियाओं में शामिल होता है।
हालांकि यह तरीका केवल तभी काम कर सकता है जब तक टीम बहुत छोटी हो। जब लोगों की संख्या बढ़ती जाती है और प्रक्रिया बढ़ने लगती है, तो खुद काम करने के इस दृष्टिकोण से आखिरकार प्रबंधक पर खुद काम करने का बहुत ज्यादा बोझ हो जाएगा और टीम इस प्रक्रिया से अपने आप को अलग महसूस करने लगती है।
इससे निर्धारित समय में काम पूरा न करने का मुद्दा उत्पन्न हो जाता है प्रबंधक सोचते हैं कि कुछ कर्मचारियों का तबादला किया जा सकता है जबकि वे पूरी तरह से नौकरी करने को तैयार हैं लेकिन उन्हें कोई काम नहीं दिया गया है। अंततः यह पूरे संगठन में असुरक्षा की एक नकारात्मक लहर पैदा करता है।
असंतुष्ट कर्मचारियों को नौकरी छोड़ने के लिए कहने जैसी कार्रवाईयों से उनके द्वारा कंपनी के प्रति कही गई बातों से कंपनी को बदनामी झेलनी पड़ती है। यह हाल के वर्षों में प्रबंधकीय निर्णय लेने वाली दुनिया में सबसे बड़ी गलतियों में से एक है।
प्रबंधकों द्वारा ऐसी गलतियां होने के पीछे एक बड़ा कारण यह है कि आम तौर पर उनके कार्यक्षेत्र में उनकी तकनीकी विशेषज्ञता के आधार पर उनकी पदोन्नतियाँ होती हैं। इसका मतलब यह है कि उन्होंने अपने कार्यक्षेत्र में केवल सफलता प्राप्त की और उनका बाकी सभी विभागों की कार्य प्रणाली के बारे में कोई संपर्क नहीं है। दूसरे शब्दों में उनके पास वित्तीय साक्षरता और व्यावसायिक कुशाग्रता नहीं है कि वह यह समझ पाए हैं कि कैसे आज लिए गए छोटे निर्णय भविष्य में इस प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं।
एक अच्छा प्रबंधक ये कह कर अपना पल्ला नहीं झाड़ेगा कि ये कर्मचारी नहीं बल्कि ग्राहक है जो चिल्ला रहा है। एक अच्छा प्रबंधक यह समझेगा कि चिल्लाने वाला व्यक्ति अन्य ग्राहकों को परेशान कर रहा है जो इस व्याकुलता को बुरी ग्राहक सेवा के रूप में समझेंगे।
एक सफल प्रबंधक को सफलता का श्रेय साझा करने में सक्षम होना चाहिए, साथ ही साथ अपनी पूरी टीम के लिए जवाबदेह भी होना चाहिए। अगर वर्तमान में सही निर्णय नहीं लिया जाता है, तो वे लंबे समय तक संगठन के लिए बड़ी चुनौतियाँ पैदा कर सकते हैं।
अब कॉर्पोरेट्स में "विशेषज्ञ" की उपाधी वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। इस तरह के लोग अपनी विशेषज्ञता को पूरा करने वाले मुद्दों को संबोधित करने के लिए हमेशा आगे रहना चाहते हैं और शायद ही कभी दूसरा कार्य करने में सक्षम हो पाएंगे। वे अपनी सीमाओं से परे नहीं देखते क्योंकि कंपनी में पहले से ही विशेषज्ञों का संग्रह होता है और उनकी उन चीजों में महारत हासिल होती है जिनमें आपके पास "विशेषज्ञता" नहीं होती है, इससे आपके समय की बर्बादी हो सकती है, इससे वांछित विषय का ध्यान आसानी से कोई भी रख सकता है, जिसके पास इस विषय में महारत हासिल है।
यह तरीका एक ऐसे कर्मचारी के दृष्टिकोण से समझ में आता है जिसको एक विशिष्ट काम की जिम्मेदारी सौंपी गई है और उसका काम इष्टतम उत्पादन प्रदान करना है। हालांकि जब वही कर्मचारी अच्छा प्रदर्शन करता है और प्रबंधक कार्यक्षेत्र में प्रबंधक के रुप में पदोन्नत होता है तो वह पहले की जैसी ही नई नौकरी के बारे में सोचता है जहां उसे सिर्फ अपने विभाग का ध्यान रखना होता था और बाकी सब अपनी टीम के विशेषज्ञों के लिए छोड़ना होता था।
उसे अपने काम के अलावा दूसरे मामलों में हस्तक्षेप करना अच्छा नहीं लगता और सिर्फ अपने काम की जिम्मेदारियों पर अड़ा रहता है। यह उसे कमबीन बनाता है जो उसे व्यापारिक दुनिया में नवीनतम रुझानों से दूर रखता है। इसके परिणामस्वरूप वे भविष्य में होने वाली अप्रत्याशित, अप्रिय परिस्थितियों को टालने में रिक्तिपूर्व उपायों को लेने में सक्षम नहीं हो पाते हैं।
ऐसी संकीर्ण दृष्टि प्रबंधक के लिए खतरनाक हो सकती है जहां से वह अपनी परिसंपत्तियों से अधिकतम लाभ निकाले बिना परिसंपत्तियों को बर्बाद होने के प्रभाव की अनदेखी करता है। उनके पास टीम के सदस्यों के लिए एक स्पष्ट परिभाषित उपद्देश्य या जिम्मेदारियां नहीं होंगी।