एंटरप्रेनर की भूमिका


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एंटरप्रेनर्स तीन प्रमुख भूमिकाएं निभाते हैं। −

  • आर्थिक परिवर्तन
  • सामाजिक परिवर्तन
  • तकनीक संबंधी परिवर्तन

इनको व्यवहारिक भूमिकाओं के रूप में संदर्भित किया जाता है। सभी एंटरप्रेनर्स में ये समान लक्षण होते हैं और इन्हीं कारकों या परिस्थितियों के कारण वे अपने जीवन में एंटरप्रेनर्स बनने का निर्णय लेते हैं जो उन्हें उसी तरह सोचने के लिए मजबूर करता है जैसा वे करते हैं।

अपने काम को प्रभावशाली ढंग से करने और एक सफल बिजनेस संचालित करने के लिए, इन एंटरप्रेनर्स को कुछ भूमिकाएं निभानी चाहिए। ये भूमिकाएं मूल प्रबंधकीय भूमिकाओं के जैसी ही हैं। इस तरह की सभी भूमिकाओं को विस्तार से निम्नानुसार सूचीबद्ध किया गया है। −

अध्यक्ष की भूमिका (फिगर हेड रोल)

एंटरप्रेनर को संगठन का प्रमुख होना चाहिए और उसे औपचारिक कर्तव्यों में भाग लेना चाहिए, जैसे कि औपचारिक और अनौपचारिक बैठकों में संगठन का प्रतिनिधित्व करना या जब भी कोई प्रेस विज्ञप्ति जारी की जाए, तब उसे एक सार्वजनिक प्रवक्ता की भूमिका निभानी चाहिए।

नेता की भूमिका

एंटरप्रेनर को एक नेता के रूप में भी कार्य करना चाहिए, क्योंकि एक एंटरप्रेनर को असहमत विचारधारा और दृष्टिकोण वाले लोगों को लाना और एक टीम के रुप में साथ काम करना पड़ सकता है। इसलिए, उसे जन प्रबंधन और नेतृत्व कौशल में भी अच्छा होना होगा। उसे लोगों को काम पर रखना, निकालना, प्रशिक्षण देना और जब आवश्यक हो, अपने संसाधनों को प्रेरित करके लोगों का नेतृत्व करना होता है।

संपर्क भूमिका

एंटरप्रेनर अपने संगठन का संपर्क अधिकारी भी होना चाहिए। वह बाहरी दुनिया और बिजनेस हाऊस के साथ संबंध का स्रोत होना चाहिए, उसे हमेशा दूसरे बड़े संगठनों के साथ मिलकर काम करने का मौका ढूँढ़ने की कोशिश करनी चाहिए।

मॉनिटर भूमिका

एंटरप्रेनर एक रेगुलेट्री बॉडी के रूप में भी कार्य करता है। वह बिजनेस के आंतरिक और बाहरी वातावरण पर लगातार नजर रखता है।

सूचना प्रदाता और प्राप्तकर्ता की भूमिका

एंटरप्रेनर को संगठन के प्रतिनिधि के रूप में भी कार्य करना चाहिए तथा संगठन के अंदर और बाहर सूचना का संचालन करना चाहिए।

प्रवक्ता की भूमिका

प्रबंधक को बिजनेस के प्रवक्ता के रूप में कार्य करना चाहिए और संगठन के अंदर और बाहर जानकारी को प्रेषित करना चाहिए। वह अपनी कंपनी और कंपनी के संभावित निवेशकों और सहयोगियों के लिए ज्ञान का स्रोत होना चाहिए।

उद्यम संबंधी भूमिका (उद्यमी भूमिका)

यह एंटरप्रेनर की एक मौलिक भूमिका होती है; वह अपने संगठन के लिए नए विचारों को प्रकट करता/करती है, कर्मचारियों और दोस्तों के साथ उन विचारों पर मंथन करता है और फिर किसी भी असफल कार्यान्वयन के जोखिम को संभालने के लिए तैयार रहता है।

बाधा का सामना करने वाला

एंटरप्रेनर को मध्यस्थ के रुप में कार्य करना चाहिए और असहमत विचार वाले लोगों से बात करके उन्हें एक साथ काम करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। उसे सभी संघर्षों को संभालना चाहिए ताकि टीम अपने लक्ष्य पर लगातार ध्यान केंद्रित करे।

संसाधन आवंटित करने वाला

एंटरप्रेनर को यह पता लगाना होगा कि, संगठन के विभिन्न विभागों के बीच उनकी मांगों और आवश्यकताओं के अनुरूप उपलब्ध संसाधनों को कैसे आवंटित किया जा सकता है। इससे उन्हें संगठनात्मक लक्ष्यों और उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है।

वार्ताकार की भूमिका

एंटरप्रेनर को संगठन की ओर से आंतरिक स्टाफ के साथ-साथ बाहरी निवेशकों या सहयोगियों के साथ बातचीत करनी होगी। ऐसे अवसरों पर, एंटरप्रेनर्स को अपनी भूमिका और कंपनी के लाभ पर और अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

एक एंटरप्रेनर की अतिरिक्त भूमिकाएं

ऊपर दी गईं भूमिकाओं के अलावा, एक एंटरप्रेनर के कुछ विशिष्ट कर्तव्य होते हैं जिसके संदर्भ में एक व्यक्ति से एंटरप्रेनर द्वारा निभाई जानेवाली जिम्मेदारी का दायित्व लेने की उम्मीद की जाती है। इन्हें तीन निन्मलिखित श्रेणियों में बांटा गया है −

  • सामाजिक भूमिकाएं,
  • आर्थिक भूमिकाएं, और
  • तकनीकी भूमिकाएं।

आईए, हम उनमें से प्रत्येक के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं।

एंटरप्रेनर की सामाजिक भूमिकाएं

  • एंटरप्रेनर्शिप के लिए अवसर बनाना।
  • समाज में नौकरी या रोजगार के अवसर पैदा करना।
  • सामाजिक कल्याण सेवाओं में आय और धन का पुनर्वितरण करना।
  • आदर्श कार्यप्रणाली को और अधिक आधुनिक दृष्टिकोण में परिवर्तित करना।

एंटरप्रेनर की आर्थिक भूमिकाएं

  • बिजनेस में असफलता के खतरे को संभालना।
  • संगठन के राजस्व को ठीक से इस्तेमाल करना।
  • कुशल लागत प्रणाली से मानव संसाधन का उपयोग करना।
  • संगठन में आर्थिक विकास की बढ़ोत्तरी के लिए चैनल प्रदान करना।

एंटरप्रेनर की तकनीकी भूमिकाएं

  • पारंपरिक तकनीक को आधुनिक प्रणाली में बदलना।
  • व्यावसायिक वातावरण में बेहतर तकनीक को अपनाना।
  • उत्पादन प्रक्रिया में उपलब्ध तकनीक का उपयोग करना।
  • टेक्नालजी के माध्यम से कार्यबल की दक्षता और क्षमता को विकसित करना।
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