एंटरप्रेनरियल मोटीवेशन (उद्यमी प्रेरणा)


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प्रेरणा वह संचालन शक्ति है, जो लोगों में कार्य को अपने तरीके से करने के लिए प्रेरित करती है। व्यक्तियों को एंटरप्रेनर बनाने के लिए एंटरप्रेनरियल मोटीवेशन आवश्यक कदम है। विद्वानों ने एंटरप्रेनरियल मोटीवेशन पर विभिन्न शोध किए हैं और लोगों को एंटरप्रेनर बनने के लिए प्रेरित करने वाले कारकों को जुटाया है।

एंटरप्रेनरियल मोटीवेशन की अवधारणा के साथ मानक मुद्दा यह है कि कई विद्वान उन सभी ख़ास विशेषताओं पर सहमत नही हैं, जो एक एंटरप्रेनर में कार्य करने के लिए होनी चाहिए। वास्तव में, ऐसे मामले भी सामने आए हैं जहां सफल एंटरप्रेनर में कई विशेष गुण या सभी गुण नहीं पाए गए, जो विशेषज्ञों द्वारा एक सफल एंटरप्रेनर बनने के लिए आवश्यक बताए गए हैं।

इस तरह कई विद्वानों ने कुछ ऐसे मानवीय गुणों का पता लगाया है जो उद्यमशीलता की प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं और यह निष्कर्ष निकाला है कि उद्यमशील भावना सिर्फ मानव क्रिया का परिणाम नहीं है। अर्थव्यवस्था, व्यापारिक पूंजी, प्रतिस्पर्धी और सरकारी अधिनियम जैसे बाहरी कारकों की उपलब्धता भी एंटरप्रेनर्शिप में महत्वपूर्ण कारक हैं।

एंटरप्रेनर्शिप को प्रभावित करने वाले गैर-प्रेरक कारक

ऐसे कई गैर-प्रेरक कारक हैं, जो एंटरप्रेनर्शिप को भी प्रभावित करते हैं। उनमें से कुछ सबसे प्रमुख इस प्रकार हैं −

  • असंतोषजनक कार्य परिवेश
  • अवांछित कैरियर परिवर्तन
  • सकारात्मक प्रभाव का असर

इसके अलावा, कई अन्य विशेषताएं हैं जैसे कि −

  • पारिवारिक स्थापित व्यापार
  • बचपन
  • पारिवारिक वातावरण
  • शिक्षा
  • आयु
  • काम का इतिहास

एंटरप्रेनर्शिप के कुछ सबसे महत्वपूर्ण कारक होते हैं, जैसे −

  • अभिनव विचारों को लागू करने की इच्छा
  • स्वतंत्र कार्य करने की इच्छा
  • वित्तीय स्वतंत्रता की इच्छा
  • व्यक्तिगत लक्ष्यों को प्राप्त करने की इच्छा

लक्ष्य पाने के लिए आवश्यक कारक

एंटरप्रेनर्स को यह एहसास होता है कि उन्हें गतिविधियों या कार्यों में व्यस्त रहना चाहिए, जहां उन्हें परिणामों के लिए उच्च स्तर की व्यक्तिगत जिम्मेदारी साझा करनी होगी। इसलिए, उन्हें योजनाओं को बनाने के लिए व्यक्तिगत कौशल और प्रयास की जरूरत है, जो मध्यम या कम जोखिम वाले हैं।

संक्षेप में, इन व्यक्तियों को पता होता है कि उन परिस्थितियों से कैसे निपटना है, जिनसे वे अपने प्रयासों से नतीजे प्राप्त कर सकते हैं। वे यह भी जानते हैं कि उपलब्ध संसाधनों के प्रभावशाली प्रयोग से उन्हें समय पर और पारदर्शी प्रतिक्रिया के माध्यम से कठिन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलती है।

लक्ष्य पाने के लिए आवश्यक कारक

जोखिम लेने की प्रवृति

एंटरप्रेनर्शिप की दुनिया में जोखिम लेने की प्रवृत्ति सबसे ख़ास विशेषताओं में से एक है। इसे नियंत्रित जोखिम लेने की उत्सुकता के रुप में परिभाषित किया जाता है।

उपलब्धियों को पाने की इच्छा के परिणामस्वरुप एंटरप्रेनर्शिप पर इसका प्रेरक प्रभाव पड़ता है, जो लोग बड़ी उपलब्धियों की इच्छा रखते हैं, वे हमेशा सामान्य जोखिम लेने के लिए तैयार रहते हैं।

इसका कारण यह है कि, सामान्य जोखिम वाले कार्य एक ही समय में चुनौतीपूर्ण और प्राप्त करने योग्य होते हैं। यह न सिर्फ लोगों को वेंचर द्वारा होने वाले संभावित लाभ के प्रति जागृत करता है बल्कि उन्हें सुनियोजित जोखिम उठाने के लिए प्रेरित भी करता है।

संशयात्मक स्थिति के लिए सहिष्णुता

एंटरप्रेनर वे कहलाते हैं जो एक ऐसी नई दूरदृष्टि वाले विचार के साथ दुनिया के सामने आते हैं जो पहले कभी अस्तित्व में था ही नहीं। एक एंटरप्रेनर को यह मानकर चलना चाहिए कि उसके द्वारा प्रेषित किये गये विचार में ऐसी कई कमियां हो सकती हैं जो उस विचार की अवधारणा के विश्लेषण के समय उसे एक असहज स्थिति में डाल सकती हैं।

एक एंटरप्रेनर को अपनी योजनाओं पर उठने वाले कठिन प्रश्नों का उत्तर देने के लिए पूरी तरह से तैयार रहने की आवश्यकता होती है, क्योंकि आपके विचार पर निवेश करने से पहले लोग संतुष्ट और आश्वस्त होना चाहेंगे कि आपकी योजना अच्छी है। एक एंटरप्रेनर के पास संशयात्मक स्थिति को संभालने की सहिष्णुता होनी चाहिए।

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